लोकसभा में मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास कर दिया गया। लंबी बहस के बाद हुए मतदान में बिल के पक्ष में 367 और ख़िलाफ़ में 67 मत पड़े। इस बिल को राज्यसभा से एक दिन पहले ही पास कर दिया गया था। इस बिल के प्रावधानों के तहत अनुच्छेद 35 ए ख़त्म कर दिया जाएगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लद्दाख में नहीं। इसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
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अमित शाह ने बिल का ज़बरदस्त बचाव करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 कश्मीर को भारत से बाँटने का काम करता था, यह हमेशा के लिए ख़त्म हो गया। इससे भारत के लोगों के मन में कभी संशय होता था कि क्या कश्मीर देश का अभिन्न अंग है, अब यह संदेह कभी नहीं होगा। कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि जिस दिन यह बिल रखा गया, वह काला दिन था। अमित शाह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि काला दिन यह नहीं था, काला दिन वह था जिस दिन इंदिरा गांधी ने देश पर इमर्जेंसी थोपी थी, पूरा देश केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया था। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आप हमें लोकतंत्र मत सिखाइए।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले में एक तरह का सेल्फ गोल करते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 देश का आंतरिक मामला नहीं है, यह संयुक्त राष्ट्र में है। इस पर पलटवार करते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'जवाहर लाल नेहरू इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले गए, हम नहीं। नेहरू ने वह नहीं किया होता तो आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर नहीं होता।'
अमित शाह ने एक दूसरे सवाल के जवाब में कहा, 'यह ऐतिहासिक ग़लती नहीं है, एक ऐतिहासिक भूल को दुरुस्त करने की कोशिश है।'
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