loader

तीन तलाक़ बिल : सरकार की नीयत पर उठ रहे हैं सवाल

लोकसभा में बृहस्पतिवार को तीन तलाक़ बिल पारित तो हो गया, पर यह सवाल बचा हुआ है कि इसके पीछे सरकार की मंशा क्या है। यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वह वाकई इसे क़ानून बनाना चाहती है या उसके नाम पर सिर्फ़ दिखावा कर रही है। यह सवाल लाज़िमी इसलिए है कि बिल को पारित कराने लायक बहुमत राज्यसभा में सरकार के पास नहीं है। वह वहाँ पहले से ही अल्पमत में है, सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने लोकसभा में इसका विरोध कर सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसे राज्यसभा में पास कराना लगभग नामुमकिन है। फिर सवाल उठता है कि सरकार ने बिल का विरोध करने वालों की बात क्यों नहीं सुनी, उसने क्यों उनकी आपत्तियों को बिल में शामिल करने की बात नहीं सोची। ये ऐसे सवाल हैं, जिनका उत्तर सिर्फ़ सत्तारूढ़ दल ही दे सकता है, पर यह साफ़ है कि सरकार की नीयत में खोट देखने वालों का शक बेबुनियाद नहीं है।  
बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने तीन तलाक़ बिल का पुरजोर विरोध किया। जेडीयू के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा कि इस बिल से समुदाय विशेष में अविश्वास पैदा होगा इसलिए हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन नहीं करेगी और हम सदन का बहिष्कार करते हैं। 
सम्बंधित खबरें

ललन सिंह ने कहा कि विवादास्पद मुद्दों पर उनकी पार्टी एनडीए के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी क़ानून को बनाकर पति-पत्नी के रिश्ते को तय नहीं कर सकती। कोई नहीं चाहता कि पति-पत्नी के बीच में संबंध विच्छेद हो जाए लेकिन अगर आप इसे क़ानून से रोकने की कोशिश करते हैं तो इससे एक विशेष समुदाय के लोगों के मन में अविश्वास पैदा होता है। 

राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार को क़ानून बनाने के बजाए उस समुदाय के लिए जन-जागृति पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा चल रहा था तब मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी आश्वस्त किया था कि हम अपने समुदाय के लिए जन-जागृति के लिए काम करेंगे। 

समाज सिर्फ़ संविधान से नहीं चलता है, यह समाज रीति-रिवाजों से भी चलता है और परंपरा से चलता है और उस समुदाय में एक परंपरा है और उस पंरपरा को ख़त्म करने के लिए आपको कोई एतिहासिक क़दम उठाना पड़ेगा।


राजीव रंजन सिंह, लोकसभा सदस्य, जदयू

चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकार में यूपी में शरिया अदालतें चलती रहीं और ऐसे मामलों को बढ़ावा मिला। बता दें कि इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक़ दिए जाने को अपराध करार दिया गया है और दोषी पाए जाने पर जेल भेजने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में इसी बात को लेकर विवाद है। लेकिन इसके बावजूद सरकार विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही पास कराने पर अड़ी है। इसे लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठते रहे हैं। 

औरतों पर ज़ुल्म?

तीन तलाक़ बिल का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने सरकार से कहा कि आप औरतों पर जुल्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह क़ानून मुसलिम महिलाओं के ख़िलाफ़ है और सबूत देने की ज़िम्मेदारी भी महिलाओं पर डाली जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर शौहर को जेल में डाल देंगे तो वह मुआवजा कैसे दे पाएगा। एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि इस्लाम में शादी जन्म-जन्म का साथ नहीं है, यह एक कॉन्ट्रैक्ट है, जिदंगी की हद तक है और हम उसमें खुश हैं। 

आज़म की टिप्पणी पर हंगामा

जब समाजवादी पार्टी के सांसद आज़म ख़ान तीन तलाक बिल पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो उनकी एक टिप्पणी को लेकर ख़ासा हंगामा हो गया। आज़म ने सदन की अध्यक्षता कर रहीं रमा देवी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसका कई सदस्यों ने विरोध किया। क़ानून मंंत्री रविशंकर प्रसाद समेत तमाम नेताओं ने आज़म ख़ान से माफ़ी माँगने को कहा। हालाँकि बाद में आज़म ने रमा देवी से कहा, आप काफ़ी सम्मानित हैं और मेरी बहन जैसी हैं।
केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि कहा कि इस मामले को सियासी चश्मे से नहीं, इंसाफ़ और इंसानियत से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीन तलाक़ बिल को औरतों के लिए न्याय और सम्मान के नजरिये से देखा जाना चाहिए। प्रसाद ने कहा कि विरोध करने वाले इस बात का जवाब दें कि उन्होंने मुसलिम महिलाओं के लिए किया क्या है। क़ानून मंत्री ने कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री हैं, राजीव गाँधी सरकार के नहीं। 
देश से और ख़बरें
मई में दुबारा सरकार बनने के बाद पहले सत्र में ही मोदी सरकार ने इस विधेयक को संसद में मंजूरी के लिए रखा था। लेकिन तब विपक्षी दलों ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया था। तब भी मोदी सरकार ने जोर देकर कहा था कि यह विधेयक मुसलिम महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में बेहद अहम क़दम है। 
तीन तलाक़ विधेयक को लेकर बीजेपी काफ़ी गंभीर है और उसने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियो में मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक़ से आज़ादी दिलाने का वादा कर चुके हैं।

बता दें कि दुनिया के कई देशों में एक साथ तीन तलाक़ पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यहाँ तक कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी इस पर रोक लगा दी है। भारत में मुसलिम समुदाय को सबसे ज़्यादा इस बात पर आपत्ति है कि एक साथ तीन तलाक़ पर संबंधित व्यक्ति को सजा का प्रावधान क्यों किया गया है।

ग़ौरतलब है कि जिन मुसलिम देशों ने एक साथ तीन तलाक़ पर पाबंदी लगाई हुई है, वहाँ भी तलाक़ देने वाले शौहर को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा देश में मुसलिम समुदाय के अलावा बाक़ी समुदायों में भी तलाक़ का प्रावधान तो है लेकिन किसी भी समुदाय में तलाक़ देने वाले व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि सरकार एक बार में तीन तलाक़ देने वाले को जेल भेजने का प्रावधान क्यों करना चाहती है?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें