आईएएस कन्नन गोपीनाथन का नाम आपको याद है या नहीं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जाने और नागरिकों के मौलिक अधिकार छीने जाने की बात कहते हुए उन्होंने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। अब नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में आईपीएस अफ़सर अब्दुर रहमान ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
रहमान का कहना है कि यह विधेयक संविधान के ख़िलाफ़ है। हालाँकि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि रहमान अगस्त में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर चुके हैं और इस पर फ़ैसला होने का इंतजार कर रहे हैं।
रहमान महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग में पुलिस महानिरीक्षक या आईजीपी रैंक के अधिकारी हैं। उन्होंने राज्यसभा में विधेयक के पास होने के बाद ट्विटर पर अपने इस्तीफ़े का एलान किया। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विरोध में 99 वोट पड़े थे। रहमान ने इस्तीफ़े में कहा, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 संविधान के ख़िलाफ़ है। मैं इस विधेयक की निंदा करता हूँ। मैंने फ़ैसला लिया है कि मैं कल से ऑफ़िस नहीं जाऊंगा और अपनी नौकरी छोड़ रहा हूँ।’ रहमान ने ट्विटर पर अपने इस्तीफ़े के पत्र को भी साझा किया है।
This Bill is against the religious pluralism of India. I request all justice loving people to oppose the bill in a democratic manner. It runs against the very basic feature of the Constitution. @ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/1ljyxp585B
— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को रखे जाने के बाद से ही रहमान इस विधेयक के ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने और ग़लत सूचना देने का भी आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
नागरिकता संशोधन विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुसलिम लीग और जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि वे इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। कांग्रेस भी विधेयक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा सकती है।
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