loader

अदालत की फटकार के बाद केंद्र ने कहा-आईटी एक्ट 66 'ए' के तहत मामला न हो

केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून यानी आईटी एक्ट की धारा 66 'ए' के तहत कार्रवाई न करें।

केंद्र का यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आया है। सर्वोच्च अदालत ने पिछले दिनों केंद्र को इस पर लताड़ा था कि आईटी एक्ट की धारा 66 'ए' को रद्द किए जाने के बावजूद धड़ल्ले से उसका इस्तेमाल हो रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों से कहा है कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के थानों को निर्देश दें कि वे आईटी एक्ट की धारा 66 'ए' के तहत कोई मामला दर्ज न करें। 

ख़ास ख़बरें

क्या है यह धारा?

केंद्र ने यह भी कहा है कि इस धारा के तहत दायर किए गए तमाम मुक़दमे वापस ले लिए जाने चाहिए। 

सु्प्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस धारा को खत्म किए जाने के बावजूद इसके तहत मामले दर्ज करना यह बताता है कि  कैसी 'दंग करने वाली स्थिति है।'

आईटी एक्ट की धारा 66 'ए' के तहत पुलिस को यह हक़ है कि मोबाइल फ़ोन या कंप्यूटर से भेजे गए किसी भी ऐसे मैसेज पर कार्रवाई कर सकती है जो उसकी निगाह में 'आक्रामक' या 'डराने वाला' या 'परेशान करने वाला' है।
 यह उस पुलिस कर्मी के विवेक पर निर्भर करता है। इसके तहत तीन साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है।इस पर जज जस्टिस एफ़. आर. नरीमन ने कहा था, 

यह दंग करने वाली स्थिति है, आप इस पर एक काउंटर एफिडेविट दायर करें।


जस्टिस एफ़. आर. नरीमन, जज, सुप्रीम कोर्ट

मानवाधिकार संस्था पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस धारा को रद्द किए जाने के बावजूद यह प्रभावी है। 

एक शोध में पता चला है कि रद्द किए हुए इस क़ानून के तहत 11 राज्यों में 745 मामले अभी भी चल रहे हैं। 

इसके तहत महाराष्ट्र में 381 और उत्तर प्रदेश में 245 मामले तो धारा के रद्द करने के बाद दायर किए गए हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें