loader

वॉशिंगटन ने भारत में चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध का किया समर्थन, अमेरिका में रोक नहीं

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने भारत में चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का स्वागत कर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह भारत-चीन तनाव में अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी का संकेत तो देता ही है, वॉशिंगटन की व्यापारिक और रणनीतिक कूटनीति  के बारे में भी बहुत कुछ कह जाता है। 
बता दें कि केंद्र सरकार ने 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध यह कह कर लगा दिया कि ये 'भारत की संप्रभुता व सार्वभौमिकता को ख़तरे में डालने वाली गतिविधियों में शामिल हैं।' 
देश से और खबरें
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत का यह फ़ैसला उसकी संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा। ये ऐप्स चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए निगरानी का काम करते हैं।'

अमेरिका में प्रतिबंध नहीं

लेकिन इसमें दिलचस्प बात यह है कि ख़ुद अमेरिका ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। पॉम्पिओ ने जिस समय इन ऐप्स को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निगरानी का उपकरण बताया, लगभग उसी समय व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत के साथ चीन का तनाव यह दिखाता है कि 'कम्युनिस्ट पार्टी दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करती है।'
सवाल यह है कि अमेरिका ने 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए निगरानी करने वाले' इन ऐप्स को अब तक अपने यहाँ कामकाज करने की अनुमति क्यों दे रखी है?

अपनी नहीं, भारत की चिंता?

इसके पहले अमेरिका ने कई बार चीन पर साइबर गुप्तचरी करने और उसके संवेदशनशील डाटा चुराने का आरोप लगाया है। इसके बावजूद चीनी ऐप्स और चीनी कंपनियाँ अमेरिका में काम कर रही हैं। लगता है, अमेरिका को अपनी नहीं, भारत की चिंता है। 
इससे जुड़ी एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में कई अमेरिकी ऐप्स भी काम करते हैं और डाटा लेने और रखने का काम भी करते हैं। गूगल और फ़ेसबुक क्या भारतीयों के हर तरह की जानकारी नहीं ले लेते हैं? उनका एनेलिटिक्स सिस्टम इन जानकारियों के आधार पर ही काम करता है। 

क्या है अमेरिका की मंशा?

क्या अमेरिका भारत को भड़का रहा है? क्या वह चीन-भारत तनाव का फ़ायदा उठाना चाहता है? क्या अमेरिका इसी बहाने भारत में अपने ऐप्स को ज़्यादा लोकप्रिय बनाना चाहता है? माइक पॉम्पिओ का बयान क्या इसे ध्यान में रख कर दिया गया है। 
इन सवालों के जवाब भारत के नीति निर्धारकों को ढूंढने होंगे। ऐसा न हो कि अमेरिका भारत-चीन तनाव का फ़ायदा उठा ले और दो पड़ोसी देश आपसे में लड़ते-भिड़ते रहें। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें