loader

गिलगित-बाल्टिस्तान मुद्दा चीन की शह पर उठा रहा है पाक?

गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पाकिस्तान के फ़ैसले का कड़ा विरोध करते हुए भारत ने कहा है कि यह भारत का अभिन्न अंग है और इस पर किसी तरह का निर्णय लेने या इसकी क़ानूनी स्थिति बदलने का हक़ किसी दूसरे देश को नहीं है। इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता है कि इसलामाबाद आख़िर क्यों यह फ़ैसला ले रहा है और इससे भारत को क्या दिक्क़तें हो सकती हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘पाकिस्तान के ग़ैरक़ानूनी और ज़बरन कब्जे में मौजूद भारत के इस हिस्से की स्थिति बदलने के पाकिस्तान की कोशिशों को भारत खारिज करता है।’
ख़ास ख़बरें

पाकिस्तान को चेतावनी

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ‘अगस्त 1947 में भारत में कश्मीर के विलय के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ-साथ गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का अभिन्न अंग बन गया।’  
उन्होंने यह भी कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान को राज्य का दर्जा देकर पाकिस्तान अपनी ग़ैरक़ानूनी कब्जे और मौजूदगी को ढंकना चाहता है।

अलगाववाद

तकरीबन 12 लाख की आबादी वाले चीन और अफ़ग़ानिस्तान से सटे इस इलाक़े में बीच-बीच में अलग देश की मांग भी उठती रही है, जिसे पाकिस्तानी फ़ौज सख़्ती से कुचल देती है। 
गिलगित-बाल्टिस्तान की पूर्ण स्वायत्तता की मांग बीते कुछ दिनों पहले भी उठी थी, स्कर्दू समेत कुछ शहरों में पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए थे और सरकार विरोधी नारे भी लगाए गए थे।

पाकिस्तान की रणनीति

दरअसल, गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर पाकिस्तान सरकार एक तीर से कई शिकार करना चाहती है। यह इलाक़ा कराकोरम रेंज में है, चीन के उत्तर-पश्चिम के प्रांत शिनजियांग से सटा हुआ है। इस वजह से इस इलाक़े का सामरिक और वाणिज्यिक दोनों ही महत्व है।
इन दोनों वजहों से गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की दिलचस्पी तो पहले से ही थी, अब इसमें चीन की दिलचस्पी भी बढ़ गई है। 
दक्षिण चीन सागर और मलक्का स्ट्रेट पर निर्भरता कम करने के लिए बीजिंग चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बना रहा है, जो चीन के शिनजियांग प्रांत को अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा। इस रास्ता के बन जाने के बाद चीनी उत्पाद ग्वादर और वहाँ से दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हैं।

चीनी सेना

यह आर्थिक गलियारा कराकोरम राजमार्ग से निकल कर गिलगित-बाल्टिस्तान होते हुए ही आगे बढ़ता है और बलोचिस्तान में दाखिल होता है। राज्य बन जाने से हर तरह की क़ानूनी अड़चनें ख़त्म हो जाएंगी और चीनी कंपनियों को सीधे स्थानीय प्रशासन से बात कर काम करने में सुविधा होगी।
pakistan rakes up gilgit baltistan for china, India warns - Satya Hindi
इसके अलावा भारत-पाकिस्तान संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान को सैनिकों और साजो-सामान को तुरन्त लाने-ले जाने में सुविधा होगी क्योंकि उसके पास हर मौसम में काम करने वाली चौड़ी सड़क होगी। ज़रूरत पड़ने पर वह चीन की मदद भी ले सकता है।

अक्साइ चिन का पेच

चीनी दिलचस्पी का सामरिक पहलू यह है कि यह अक्साइ चिन से बहुत दूर नहीं है। अक्साइ चिन को छीन लेने के अमित शाह के 5 अगस्त 2019 को संसद में दिए गए बयान से चीन की आशंका बढ़ी हुई है। गिलगित बाल्टिस्तान में पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मौजूदगी से उसे अक्साइ चिन में भारतीय फ़ौज को दूसरी तरफ से घेरने में सुविधा होगी।
भारत के बंटवारे के समय यानी 1947 में गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर की तरह न भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का, वह कश्मीर का हिस्सा था। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1935 में हुई एक संधि के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाक़ा अंग्रेजों को 60 साल के लीज़ पर दे दिया था।

इतिहास

लेकिन 2 नवंबर, 1947 को गिलिगित स्काउट के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्ज़ा हसन ख़ान ने हरि सिंह के ख़िलाफ़ विद्रोह का एलान कर दिया। उसके दो दिन पहले ही 31 अक्तूबर को कश्मीर के महाराजा ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दी थी।
पाकिस्तानी सेना के लोग कबाइली छापामारों के वेश में इस क्षेत्र में दाखिल हुए और उसने सैन्य बलों तथा कबाइलियों के बल पर इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। भारत-पाकिस्तान युद्ध और युद्ध विराम के बाद अप्रैल 1949 तक यह इलाक़ा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा। 
pakistan rakes up gilgit baltistan for china, India warns - Satya Hindi

स्वायत्तता

28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ, जिसके तहत गिलगित के मामलों को सीधे पाकिस्तान की केंद्र सरकार के  तहत कर दिया गया। इस क़रार को कराची समझौते के नाम से जाना जाता है और क्षेत्र का कोई भी नेता इस करार में शामिल नहीं था।
पाकिस्तान सरकार ने 1963 में इसका एक हिस्सा चीन को दे दिया, जहां चीन ने कराकोरम राजमार्ग बना लिया। पाकिस्तान सरकार ने 29 अगस्त 2009 को गिलगित-बाल्टिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश 2009 पारित किया। इसके तहत कहा गया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों को लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी विधानसभा और स्वशासन का अधिकार दिया जाएगा।
लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान संयुक्त-आंदोलन ने इस आदेश को खारिज कर दिया। उन्होंने मांग की कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण स्वायत्तता मिले, एक स्वतंत्र और स्वायत्त विधान सभा हो। इसके अलावा भारत पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र मिशन की देखरेख में स्थानीय सरकार बननी चाहिए। गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों को अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री चुनने का हक़ हो। पाकिस्तान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और बड़े पैमाने पर दमन चक्र चलाया।
गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाक़ा एक बार फिर सुर्खियों में है।
पाकिस्तान के साथ भारत सरकार की मौजूदा नीतियां क्या हैं, देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का यह वीडियो। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें