नतीजतन, कर्नल बल के माता-पिता को इस लॉकडाउन में सड़क के रास्ते 2600 किलोमीटर की दूरी तय कर अमृतसर से बेंगलुरू जाना पड़ा।
पूर्व सेनाध्यक्ष वी. पी. मलिक ने ने कर्नल बल के भाई नवतेज़ सिंह बल से संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार ने मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि नियम पत्थर पर लिखे नहीं होते हैं, विशेष स्थितियों में उन्हें बदला जा सकता है।
Deepest condolences! Have a safe journey. Sad GOI did not help. Rules are never written on stone. They are modified or changed in special circumstances.
— Vedmalik (@Vedmalik1) April 11, 2020
सरकार के सूत्रों ने एनटीडीवी से कहा कि सैनिक की मृत्यु के तुरन्त बाद उसके शव को अंत्येष्टि के लिए हवाई जहाज से उसके घर ले जाने का नियम है, पर उसमें किसी और को बैठने की अनुमति नहीं है। इस मामले में छूट देकर नई प्रथा नहीं शुरू की जा सकती थी।
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