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भारत-चीन के कुछ सैनिक पीछे हटे, एलएसी पर तैनाती बरक़रार

कड़कती ठंड और शून्य के नीचे चल रहे तापमान के बीच भारत और चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास से कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया है। दोनों देशों ने लद्दाख के अंदरूनी हिस्सों से सैनिकों को बुलाया है, अग्रिम पंक्ति से नहीं। पहले चीन ने अपने 10 हज़ार सैनिकों को वापस बुलाया। 

'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अग्रिम पंक्ति से चीन ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को वापस नहीं बुलाया है और स्थिति पहले की तरह ही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा की अग्रिम पंक्ति में भारत-चीन की सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने डटी हुई हैं। लेकिन उसके पीछे के इलाक़ों से चीन ने अपने 10 हज़ार सैनिकों को वापस बुला लिया है। 

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भारतीय सैनिक भी पीछे हटे

चीन के बाद भारत ने भी अपने कुछ सैनिकों को लद्दाख से वापस बुला लिया है। लेकिन भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की अग्रिम पंक्ति से सैनिकों को नहीं बुलाया है। वे सैनिक पहले की तरह ही चीनी सेना के सामने अभी भी तैनात है। 

पैंगोंग त्सो, चुसुल, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग में चीनी सैनिकों के सामने भारतीय सैनिक डटे हुए है। इनमें से कुछ जगहों पर तापमान शून्य से 30 डिग्री नीचे रिकॉर्ड किया गया है। 

चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेन्स स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत और भारतीय वायु सेना के एअर चीफ़ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने सोमवार को ही लद्दाख का दौरा किया और तैयारी का जायज़ा लिया। 

यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब दोनों देशों ने अपने कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया है। इससे साफ है कि एलएसी पर तैनाती पहले की तरह ही है। 

अग्रिम पंक्ति से सैनिक वापस नहीं

पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख के पारंपरिक प्रशिक्षण के इलाक़ों से इन सैनिकों को वापस लिया है। यह वास्तविक नियंत्रण रेख के पास लगभग 150 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। समझा जाता है कि कड़ाके की ठंड की वजह से बीजिंग ने अपने कुछ सैनिकों को वापस बुलाया है।

अग्रिम पंक्ति पर चीनी सैनिकों की तैनाती पहले की तरह ही रहने के बावजूद चीनी सैनिकों की वापस महत्वपूर्ण इसलिए है कि इस प्रशिक्षण क्षेत्र में ही चीनी सैनिक पिछले साल के अप्रैल-मई में आ गए और वहाँ से पीछे हटने से इनकार कर दिया था। 

अब क्या होगा?

बता दें कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक अप्रैल-मई में ही वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय सीमा के अंदर घुस आए और वापस जाने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि यह इलाक़ा चीन का है, लिहाज़ा वे अपनी सीमा के अंदर ही हैं और इसलिए वहाँ से वापस नहीं जाएंगे।

Peoples Liberation Army, India pull back troops from Ladakh along LAC - Satya Hindi

वह इलाक़ा भारतीय सीमा के अंदर है, उस पर हमेशा ही भारत का नियंत्रण रहा है। इसके पहले 1965 के भारत-चीन युद्ध के समय या उसके बाद भी बीजिंग ने कभी उस इलाक़े पर दावा नहीं किया, पर अब उसका कहना है कि यह उसका इलाक़ा है। 

इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ा, भारत ने भी अपने सैनिकों को वहाँ भेजना शुरू किया। नतीजा यह हुआ कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों तरफ के कुल एक लाख से ज़्यादा सैनिक पहुँच गए। इसके अलावा भारत-चीन की सेनाओं ने अपने साजो-सामान भी वहाँ पहुँचा दिए।

मामला क्या है?

लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देशों के सैनिक आपस में भिड़ गए, किसी ने गोली नहीं चलाई, पर लोहे के रॉड और दूसरी चीजों से दोनों तरफ के सैनिकों ने एक-दूसरे पर हमला किया। भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, कुछ चीनी सैनिक भी मारे गए। बीजिंग ने चीनी सैनिको के मारे जाने की पुष्टि की, पर संख्या नहीं बताया।

दोनों सेनाओं के बीच बातचीत हुई और गलवान घाटी से दोनों देशों ने अपनी सेनाएं वापस बुला लीं। 

चीन की मजबूरी

पर पूरे लद्दाख का मसला जस का तस रहा। दोनों देशों के बीच सैन्य, कूटनीति व राजनीतिक स्तर की कई दौर की बातचीत हुई। चीन इस पर सहमत हुआ कि वह अपने सैनिकों को बुला लेगा, पर उसने ऐसा नहीं किया। 

भारतीय सेना का ऊँचे पहाड़ पर शून्य से नीचे के तापमान पर बने रहने का बहुत पुराना अनुभव है। उसके सैनिक पाकिस्तानी सीमा पर सियाचिन में साल भर रहते हैं, जहाँ तापमान शून्य से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे रहता है।

पर चीनी सेना के पास ऐसा अनुभव नहीं है। ऐस समय जब लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शून्य से नीचे के तापमान में चीनी सैनिकों को बहुत मुश्किल में रहना पड़ रहा है, पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया है।

चीन की चालाकी?

इसके ज़रिए बीजिंग विश्व समुदाय और खास कर अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित जो बाइडन को यह संकेत देना चाहता है कि वह भारत से बेहतर रिश्ता चाहता है और इसलिए सेना को बुलाना के एकतरफा फ़ैसला कर लिया है। लेकिन सच यह है कि वह बुरी तरह फंसा हुआ है। 

चीन अब भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है कि वह भी 10 हज़ार सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा से वापस बुला ले। लोगों की निगाहें इस पर टिकी होंगी कि भारत इस चालाकी का क्या जवाब देता है। 

 

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क़मर वहीद नक़वी

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