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ट्रंप दौरा: 3 बिलियन डॉलर की डिफ़ेंस डील तो हुई, व्यापार सौदा क्यों नहीं?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की यात्रा को लेकर जैसा पहले से अंदेशा जताया जा रहा था वैसा ही हुआ। यानी रक्षा सौदे पर सहमति बनी, लेकिन दूसरे व्यापारिक मुद्दों पर सिर्फ़ बात हुई और रिश्ते मज़बूत करने की बात कही गई। हालाँकि एनर्जी सेक्टर में भी सौदा हुआ, लेकिन उसमें भी अमेरिका अपना सामान भारत को ही बेचेगा। यानी ट्रंप आए और रक्षा से जुड़े अपने सामान तो उन्होंने भारत को बेच दिया लेकिन व्यापार में जब भारत को कुछ देने की बारी आई तो सिर्फ़ बातें बनाई गईं। ट्रंप के दो दिवसीय दौरे के बाद संयुक्त बयान में कहा गया है कि अमेरिका के साथ तीन बिलियन डॉलर यानी क़रीब 21 हज़ार करोड़ रुपये का रक्षा सौदा हुआ है। लेकिन इसके साथ ही ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार सौदा अभी भी किया जाना बाक़ी है और वे इस पर बातचीत की शुरुआत करेंगे। 

यानी वह बात बिल्कुल सही साबित हुई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की नज़र भारत की सामरिक ज़रूरतों पर टिकी हुई है और वे ज़्यादा से ज़्यादा अमेरिकी हथियार भारत को बेचना चाहते हैं। ट्रंप ने अपनी यात्रा के पहले दिन अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में अपने भाषण के दौरान उन्होंने यह कहा भी था। उन्होंने अपने भाषण में खुल कर कहा था कि वह भारत को रक्षा उपकरण और इससे जुड़ी चीजें बेचना चाहते हैं।

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अब जो दोनों देशों के बीच रक्षा सौदा हुआ है उसमें अमेरिका के रोमियो हेलिकॉप्टर और अपाचे हेलिकॉप्टर शामिल है। ट्रंप ने इसकी जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 3 अरब डॉलर से ज्यादा के डिफ़ेंस डील से दोनों देशों के रक्षा संबंध और मज़बूत होंगे।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी जब आए तो उन्होंने भी व्यापार पर सिर्फ़ बातचीत होने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका पार्टनरशिप के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हुई, वह चाहे रक्षा हो या सुरक्षा। उन्होंने कहा, 'हमने एनर्जी स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप, ट्रेड और पिपल-टु-पिपल के बीच संबंधों पर भी चर्चा की। रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच मज़बूत होता रिश्ता हमारी साझेदारी का महत्वपूर्ण पक्ष है।'

आतंकवाद का भी ज़िक्र

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 'कट्टर इसलामी आतंकवाद' का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, 'पीएम मोदी और मैं अपने नागरिकों को कट्टर इसलामी आतंकवाद से बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अमेरिका पाकिस्तान की धरती से चल रहे आतंकवाद को रोकने के लिए क़दम उठा रहा है।'

ऊर्जा के क्षेत्र में सौदा, पर बेचेगा अमेरिका ही

हालाँकि एनर्जी सेक्टर में एक सौदा हुआ है, लेकिन इसमें भी अमेरिका भारत को अपना सामान बेचेगा ही। देश के जिन शहरों में पाइपलाइन नहीं है, वहाँ कंटेनर के ज़रिए गैस पहुँचाने में भारत अमेरिका की मदद लेने जा रहा है। इसके लिए अमेरिकी एनर्जी कंपनी एग्जॉन मोबिल कॉर्पोरेशन और इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। अमेरिका भी भारत को क्रूड ऑइल और गैस का एक्सपोर्ट बढ़ाकर अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहता है।
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भारत को मिली रियायतें हटाने पर कुछ भी नहीं कहा

कहा जा रहा था कि ट्रंप की इस यात्रा में भारत अमेरिका द्वारा जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रीफ़रेंसेज से बाहर करने के मामले को उठाएगा। लेकिन इस बारे में संयुक्त बयान में कुछ नहीं कहा गया। ट्रंप ने पहले ही भारत को सबक़ सिखाने की कोशिशों के तहत उसे जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रीफ़रेसेंज से बाहर कर दिया है, कुछ भारतीय सामानों को मिलने वाली सुविधाएँ अब नहीं मिलेंगी। भारत से होने वाला अरबों डॉलर का निर्यात बुरी तरह प्रभावित होगा। ट्रंप इस बात से ख़फ़ा थे कि भारत-अमेरिका दोतरफ़ा व्यापार में पलड़ा भारत की ओर झुका हुआ है। उनका तर्क था कि भारत अमेरिका से कई तरह की रियायतें लेता है। 

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विकासशील देश होने की वजह से अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर 2 प्रतिशत कम टैक्स लगता है, लेकिन ट्रंप द्वारा रियायतें देना बंद करने के कारण यह सुविधा भारत को नहीं मिलेगी। यानी भारतीय उत्पादों पर फ्रांस या ब्रिटेन या किसी दूसरे विकसित देश की तरह ही टैक्स लगेगा। इससे भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, उन्हें दूसरे विकसित देशों के साथ व्यापारिक होड़ में टिकना होगा। यह संभव है कि भारतीय उत्पाद कम बिकें।
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क़मर वहीद नक़वी

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