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रॉबर्ट वाड्रा को ईडी छोड़ने गईं प्रियंका, कहा, मैं पति के साथ मजबूती के साथ खड़ी हूँ

ऐसा लगता है कि प्रियंका गाँधी के राजनीति में उतरने की सज़ा उनके पति रॉबर्ट वाड्रा को भुगतनी होगी। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बुधवार को रॉबर्ट वाड्रा को एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट (ईडी) के सामने पूछताछ के लिए पेश होना पड़ा। प्रियंका गाँधी अपने पति को ईडी के दफ़्तक तक ख़ुद छोड़ने गईं। वहां उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, 'मैं अपने पति के साथ मजबूती के साथ खड़ी हूँ।'   
वाड्रा पर हवाला कारोबार का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने लंदन के 12 ब्रायन्सटन स्क्वैयर में लगभग 13.50 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी। एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट का कहना है कि उसके पास इस बात की जानकारी है कि वाड्रा ने दो बेहद कीमती फ्लैट लंदन में खरीदे हैं। इसके अलावा छह और फ्लैट और दूसरी बेनामी जायदाद की जानकारी भी उन्हें मिली है। 
हवाला कारोबार से जुड़े मामले में दिसंबर 2018 में ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे थे। उनके सहयोगी मनोज अरोड़ा से जम कर पूछताछ हुई थी। बिजनेस टुडे के मुताबिक़, ईडी का यह दावा है कि जो जायदाद वाड्रा ने लंदन में खरीदी है, वह रक्षा सौदे के दलाल संजय भंडारी की थी, जिसे भंडारी ने 2010 में वाड्रा को बेची थी।
उनका कहना है कि उन्हें संदेह है कि इसमें भारी घोटाला किया गया है क्योंकि भंडारी से यह संपत्ति उसी दाम पर खरीदी गई, जिस क़ीमत पर भंडारी ने ख़ुद खरीदी थी। उस संपत्ति को ठीक करने में काफ़ी पैसे खर्च हुए थे, जिसका कोई ब्योरा नहीं दिया गया। ्अरोड़ा वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट में काम करता है और संदेह है कि उसी ने वाड्रा की ओर से पैसों का इंतज़ाम किया था। 
Priyanka backs Robert Vadra as ED Begins interrogation  - Satya Hindi
प्रियंका गाँधी के राजनीति मे आने के बाद वाड्रा ने दिल्ली की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया था और गिरफ़्तारी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी दी थी। अदालत ने वाड्रा को जाँच में सहयोग करने का आदेश दिया, लेकिन 16 फ़रवरी तक उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी। 
'सत्य हिन्दी' ने पहले ही यह ख़बर दी थी कि प्रियंका गाँधी को राजनीति में आने से रोकने के लिए रॉबर्ट वाड्रा को गिरफ़्तार करने की योजना थी। कांग्रेस सूत्रों ने 'सत्य हिंदी' को बताया था कि पार्टी को जैसे ही इस बात की भनक लगी, आनन फानन में प्रियंका गाँधी के राजनीति में उतरने का एलान कर दिया गया। उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया। जानकारों का कहना है कि उस समय मोदी सरकार हाथ मलती रह गई थी। 
प्रियंका के राजनीति में आने और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनने से कांग्रेस के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि प्रियंका की एन्ट्री लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को तो मजबूती देगी ही, बीजेपी के अंकगणित को भी नुक़सान पहुँचा सकती है।
यह अकारण नहीं है कि बुधवार को ईडी में वाड्रा की पेशी के ठीक पहले बीजेपी ने बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नेहरू-गाँधी परिवार पर तीखा हमला बोला और पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी से चार सवाल पूछे। 
  • 1.क्या आप सी. सी. थम्पी को जानते हैं?
  • 2.सिनटेक्स इंटरनेशनल का रॉबर्ट वाड्रा से क्या रिश्ता है?
  • 3.पेट्रोलियम के सौदे में किसने घूस खायी?
  • 4.दुनिया भर में जो संपत्ति खरीदी गई है, वह पैसा कहां से आया जबकि आपके पास बिजनेस करने के एक लाख रुपये भी नहीं हैं?
Priyanka backs Robert Vadra as ED Begins interrogation  - Satya Hindi
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस पर भी सवाल खड़ा किया कि जब रॉबर्ट वाड्रा को ईडी में पेश होना था, उसके ठीक पहले कांग्रेस मुख्यालय पर राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी के साथ रॉबर्ट वाड्रा पोस्टर मे कैसे दीखे। इस पोस्टर मे लिखा है, 'कट्टर सोच नहीं, युवा जोश।' क्या इसी भ्रष्टाचार को कांग्रेस पार्टी युवा जोश कहती है?
चुनाव के पहले वाड्रा के बहाने नेहरू-गाँधी परिवार पर यह पहला हमला नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले भी गुड़गाँव में डीएलएफ़ से जुड़े एक मामले में रॉबर्ट वाड्रा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। प्रियंका गाँधी जब अमेठी-रायबरेली में प्रचार करने निकलीं तो बीजेपी ने 'दामाद का घोटाला' नाम से एक पुस्तिका भी निकाली थी, जिसमें वाड्रा के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा खोलने का दावा किया गया थ। बीजेपी ने यह भी कहा था कि नेहरू-गाँधी परिवार के नाम पर राजस्थान में बेनामी जायदाद खरीदी गई थी। 
2014 के चुनावों के दौरान बीजेपी ने यह दावा भी किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद 'दामाद जी' सलाखों के पीछे होंगे। लेकिन सरकार बनने के पाँच साल होने को आए हैं और वाड्रा अभी भी आज़ाद घूम रहे हैं।
अब जबकि चुनाव कभी भी घोषित हो सकते हैं तो अचानक रॉबर्ट वाड्रा के मामले में जाँच एजेन्सियाँ काफ़ी सक्रिय हो गई हैं। सवाल यह उठता है कि बीते पाँच साल में ये एजेन्सियाँ क्यों सोई हुई थीं?, वाड्रा के मामले की जाँच क्यों नही की गई? और सरकार बनने के बाद वायदे के मुताबिक उन्हें जेल में क्यो नही डाला गया? ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि रॉबर्ट वाड्रा से यह पूछताछ कहीं चुनावी स्टंट तो नहीं, वाड्रा के बहाने प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी को डराने की कोशिश तो नहीं, और इस बहाने नेहरू-गाँधी परिवार को भ्रष्ट घोषित कर चुनाव जीतने की ललक तो नहीं? सरकार के दावे के मुताबिक़, वाड्रा ने भ्रष्टाचार किया है तो उनके ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। क़ानून सबके लिए बराबर है। वह राजा और रंक में फ़र्क नहीं करता। वाड्रा महज इसलिए नहीं बच सकते कि वह नेहरूृ-गाधी परिवार के दामाद हैं। उधर प्रियंका गाँधी ने भी वाड्रा के साथ  ईडी तक जाकर यह राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है कि नेहरू-गाँधी परिवार डरने वाला नहीं है और वह अपने पति के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। प्रियंका गाँधी ने एनडीटीवी से कहा है, 'मैं अपने पति के साथ पूरी मजबूती से खड़ी हूँ।' 
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क़मर वहीद नक़वी

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