केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उनका नई दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली कराने का नोटिस मिलने पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विचलित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इतनी गिर गयी है कि प्रियंका गांधी को मकान खाली कराने का नोटिस दे दिया।
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कांग्रेस नेतृत्व से नफरत की भावना और बदले की नीति जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि पूरे देश ने देखा कि मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी और एचडी देवेगौड़ा से एसपीजी की सुरक्षा वापस ले ली, क्योंकि मोदी ख़ुद को बढ़ा दिखाकर सबको नीचा दिखाना चाहते थे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि न तो प्रियंका और न ही कांग्रेस नेतृत्व ऐसे नोटिसों से डरने वाला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार जनता की आवाज़ उठाती रहेगी।
इससे पहले केंद्र सरकार ने प्रियंका गांधी से कहा कि वह नई दिल्ली में उन्हें मिला सरकारी बंगला 1 अगस्त को खाली कर दें। प्रियंका के बंगले का पता 35, लोदी एस्टेट है।
प्रियंका 1997 से इस बंगले में रह रही हैं। प्रियंका इस बंगले का किराया भी देती हैं। केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उनके बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया है क्योंकि अब उनके पास स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा नहीं है। पिछले साल सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। तब इसे लेकर ख़ासा हंगामा हुआ था।
पिछले साल गांधी परिवार के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी। मनमोहन सिंह के मामले में मोदी सरकार ने कहा था कि इंटेलिजेंस सूत्रों की ओर से उन्हें ख़तरा कम होने की रिपोर्ट मिलने के बाद यह फ़ैसला लिया गया था।
एसपीजी का गठन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के एक साल बाद 1985 में प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या के बाद एसपीजी क़ानून में बदलाव किया गया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों को दस साल तक सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था।
इसके बाद 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसमें फिर से बदलाव किया और दस साल सुरक्षा की जगह एक साल कर दिया गया या ख़तरे की आशंका को देखते हुए इसे लंबे समय तक बढ़ाए जाने का भी प्रावधान किया गया।
अपनी राय बतायें