loader
संसद के लॉन में धरना देते सांसद। फ़ोटो क्रेडिट - @SanjayAzadSln

विपक्ष अड़ा, कहा- सांसदों का निलंबन वापस हो, दिया धरना 

कृषि विधेयकों को लेकर सरकार और विपक्ष में तलवारें खिंच गई हैं। विपक्ष ने सरकार से साफ कह दिया है कि जब तक 8 सांसदों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता है, वह सत्र का बहिष्कार करेगा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने मंगलवार को यह बात कही। 

शून्यकाल के दौरान ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यह मांग भी रखी कि सरकार जो विधेयक ला रही है, उसमें इस बात को तय किया जाना चाहिए कि निजी क्षेत्र के कारोबारी सरकार द्वारा निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर अनाज की ख़रीद न कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकार से यह मांग भी कि कि स्वामीनाथन फ़ॉर्मूले के अनुसार एमएसपी को समय-समय पर बदला जाना चाहिए। 

इससे पहले कृषि विधेयकों का पुरजोर विरोध कर रहे विपक्षी दलों के 8 सांसदों ने सोमवार रात को संसद के लॉन में ही धरना दिया और इन विधेयकों को लेकर अपने इरादों को जाहिर कर दिया। ये वे सांसद हैं, जिन्हें रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद एक हफ़्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह कार्रवाई की थी। 

नायडू का कहना था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। इन सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नाज़िर हुसैन और एलामारान करीम शामिल हैं। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद रविवार को काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी। 

ताज़ा ख़बरें

इन सांसदों ने अपने हाथ में पोस्टर लिए हुए हैं जिनमें लिखा है कि वे किसानों की लड़ाई लड़ेंगे और संसद की हत्या की गई है। सोमवार शाम को 18 विपक्षी दलों के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर उनसे इन विधेयकों पर दस्तख़त नहीं करने की अपील की थी। 

धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक बार फिर कृषि विधेयकों को काला क़ानून बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था लेकिन फिर भी इन विधेयकों को पारित कर दिया गया और उप सभापति ने वोटिंग नहीं कराई। संजय सिंह ने कहा कि देश के किसानों के साथ धोखा हुआ है। 

मंगलवार सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी धरना दे रहे सांसदों के बीच पहुंचे और उन्होंने इनसे बातचीत की। लेकिन सांसदों ने उनसे स्पष्ट तौर पर कहा कि इन विधेयकों को वापस लिया जाना चाहिए। 

Protest against new farm bill 2020 MPs sit on dharna  - Satya Hindi

सोमवार को सत्र शुरू होते ही विपक्षी दलों के सांसदों ने एक बार फिर जोरदार नारेबाज़ी की थी। सभापति वेंकैया नायडू द्वारा 8 सांसदों को सदन से निलंबित करने के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा था कि निलंबित किए गए सांसदों ने बुरा व्यवहार किया और यह एक तरह से गुंडागर्दी थी। जोशी ने कहा कि इन सांसदों ने इस बात को साबित किया कि इनका लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है। 

कृषि विधेयकों को लेकर संसद के दोनों सदनों के अलावा सड़क पर भी जोरदार विरोध हो रहा है। किसानों का कहना है कि वे इन विधेयकों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। 

राष्ट्रपति से अपील

विपक्षी दलों के सांसदों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा है कि हम आपका ध्यान इस ओर खींचना चाहते हैं कि लोकतंत्र की पूर्ण रूप से हत्या की गई है और विडंबना यह है कि हत्या लोकतंत्र के सबसे सम्मानित मंदिर संसद में ही की गई है। सांसदों ने लिखा है, “हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि इस विधेयक पर दस्तख़त न करें और इसे लौटा दें। आप अपनी पूरी संवैधानिक और नैतिक ताक़त लगा कर यह सुनिश्चित करें कि यह काला विधेयक क़ानून न बन सके।” चिट्ठी में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम,, एनसीपी, डीएमके, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। 

शनिवार शाम को 12 विपक्षी दलों ने उप सभापति हरिवंश के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। लेकिन सरकार ने उप सभापति का ज़ोरदाव बचाव किया था और राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार को संसदीय मर्यादा का उल्लंघन और लोकतंत्र के लिए शर्मनाक क़रार दिया था। 

किसान आंदोलन पर देखिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह। 

एनडीए में रार 

कृषि विधेयकों को लेकर मोदी सरकार घिरी हुई है। पंजाब और हरियाणा में चल रहे किसानों के जोरदार आंदोलन के अलावा एनडीए की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा करवा दिया है। इसके अलावा हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी उधेड़बुन में है कि वह क्या करे। क्योंकि पार्टी को किसानों का समर्थन हासिल है और उस पर इन विधेयकों को लेकर सरकार से बाहर निकलने का दबाव है। 

देश से और ख़बरें

मोदी सरकार का तर्क

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आज़ाद किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के नुक़सान होने के सवालों को लेकर कहा है कि इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और ज़्यादा विकल्प मिलेंगे और ज़्यादा अवसर मिलेंगे।

केंद्र सरकार का कहना है कि इन विधेयकों को लेकर ग़लत सूचना फैलाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों से किसानों को फ़ायदा होगा और जो इसका विरोध कर रहे हैं वे असल में बिचौलियों के पक्षधर हैं और 'किसानों को धोखा' दे रहे हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें