loader

रफ़ाल : भारत में क्लीन चिट और फ़्रांस में जाँच की तैयारी?

रफ़ाल पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर जहाँ देश का पत्रकार जगत विस्मित है, वहीं भारत में पत्रकारिता कर रहे विश्व के अन्य देशों के प्रसिद्ध मीडिया समूहों के पत्रकार हतप्रभ हैं।
खु़द फ़्रांस के सबसे बड़े मीडिया समूह 'ल मोन्द' के दिल्ली में तैनात साउथ एशिया ब्यूरो चीफ़ जूलियाँ बूइसू ने शनिवार शाम को ट्वीट किया कि यहाँ दिल्ली में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कहा हो कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है लेकिन फ़्रांस के नैशनल पब्लिक प्रासिक्यूटर का दफ़्तर अभी भी विचार कर रहा है कि क्या इस मामले में जाँच शुरू की जाए।
शुक्रवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया था कि जिस कैग रिपोर्ट और पीएसी द्वारा उसके अनुमोदन की बात सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में है, वह कैग रिपोर्ट तो पीएसी में अब तक पेश ही नहीं की गई है। संयोग ही है कि पीएसी के अध्यक्ष लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल के साथ ही बैठे थे। खड़गे ने भी कहा था कि उनके सामने ऐसी कोई रिपोर्ट आई ही नहीं।
भारत में जहाँ मीडिया का बड़ा हिस्सा हर मामले की तरह इस मामले में भी सरकार से भी आगे बढ़कर उसे क्लीन चिट दे रहा है, वहीं फ़्रांस में इसका उलट हो रहा है। वहीं की एक वेबसाइट मीडियापार्ट ने निवर्तमान राष्ट्राध्यक्ष ओलांद का इंटरव्यू छापा था जिसमें ओलांद ने यह दावा किया था कि नई दिल्ली ने उन पर अनिल अंबानी को जबरन थोपा था।
एक दूसरी वेबसाइट ने दसॉ कंपनी के संबंधित अधिकारियों के आंतरिक पत्राचार को लीक कर बताया था कि एचएएल की जगह अंबानी को इस डील में किसने डाला था! वहीं से यह ख़बर भी यहाँ तक पहुँची कि इसी दौरान अनिल अंबानी की एंटरटेनमेंट कंपनी, ओलांद के एक पार्टनर को एक फ़िल्म प्रोजेक्ट में फ़ाइनेंस करने जा पहुँची।
जो लोग सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में मोदी सरकार के लिए अमृत पाने का एलान कर रहे थे, सोशल मीडिया और रेग्युलर मीडिया में जारी कोलाहल देख राय बदलने या चुप रहने पर मजबूर हो गए हैं। बहुत समय बाद लगभग अविवादित सुप्रीम कोर्ट की बेंच के फ़ैसले पर इतना बड़ा विवाद पैदा हुआ है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें