When you tell one lie, you need to keep spinning out more lies, to cover up the first one.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 6, 2019
In her eagerness to defend the PM's Rafale lie, the RM lied to Parliament.
Tomorrow, RM must place before Parliament documents showing 1 Lakh crore of Govt orders to HAL.
Or resign. pic.twitter.com/dYafyklH9o
एचएएल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि शेयरधारकों के प्रति हमारी एक ज़िम्मेदारी है और उन्हें यह ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिये कि हमारे पास सौदों के ऑर्डर हैं जबकि हमारे पास एक भी ऑर्डर अभी नहीं है।
एचएएल देश की प्रमुख रक्षा सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी है। हाल में उसका नाम रफ़ाल मामले में उछला था जब रफ़ाल का सौदा उसकी जगह अनिल अंबानी समेत दूसरी कंपनियों के साथ कर लिया गया।
- अख़बार ने लिखा है कि एचएएल के अधिकारियों के मुताबिक़ एलसीए अभी कोटेशन माँगने के स्तर पर ही है और टेंडर अभी तक नहीं खोला गया है। यही हाल कामोव हेलिकॉप्टर का है जो कि एचएएल का प्रोजेक्ट भी नहीं है। यह रूस के साथ साझा उपक्रम है। अभी तक डोर्नियर के लिये कोई ऑर्डर नहीं दिया गया है। अख़बार में छपी ख़बर के अनुसार अभी तक वर्तमान सरकार के तहत सिर्फ़ 73 अति विकसित लाइट हेलिकॉप्टर का ऑर्डर ही दिया गया है।
रक्षा सौदों में ख़रीद की प्रकिया काफ़ी पेचीदी है। एक एक सौदे को पूरा होने में सालों लगते हैं। रफ़ाल में ही दस से ज़्यादा साल लगे हैं। ऐसे में निर्मला सीतारमण ने किस आधार पर सौदों का ब्यौरा दिया, यह एक बड़ा सवाल है। ज़ाहिर है, एचएएल क्यों झूठ बोलेगा। उनके अधिकारी तो यह भी कह रहे हैं कि वह एक लिस्टेड कंपनी है और कोई भी शख़्स आकर इस बात की जाँच कर सकता है कि जिन सौदों का ज़िक्र निर्मला सीतारमण ने किया है वे हुये हैं या नहीं।
संसद की अवमानना तो नहीं?
कांग्रेस इस वक़्त हमलावर है। रफ़ाल मामले पर वह लगातार प्रधानमंत्री पर हमले कर रही है और यह नारा बुलंद कर रही है कि ‘चौकीदार चोर है’। उनका इशारा प्रधानमंत्री की तरफ़ है। ऐसे में अगर एचएएल का मामला भी गले अटक गया तो मोदी सरकार की दिक़्क़तें और बढ़ जाएँगी। अगर रक्षा मंत्री के कहे अनुसार सौदे नहीं हुये तो यह संसद की अवमानना और सदन को गुमराह करने का मामला बनेगा। रक्षामंत्री को जवाब देना होगा।
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