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आख़िर लोग क्यों झाँक रहे हैं साक्षी और अजितेश के निजी जीवन में?

बरेली के विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी के दलित युवक अजितेश से शादी करने के मामले में हर दिन नया घटनाक्रम सामने आ रहा है। साक्षी और अजितेश की एक मंदिर में की गई शादी का सर्टिफ़िकेट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उस मंदिर के पुजारी का कहना है कि उन्होंने तो ऐसी कोई शादी कराई ही नहीं है। बता दें कि साक्षी ने अपने पिता से, अपनी और अपने पति, अजितेश की जान को ख़तरा बताया था। साक्षी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी सुरक्षा देने की अपील की है।
बरेली के विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी के दलित युवक अजितेश से शादी करने के मामले में हर दिन नया घटनाक्रम सामने आ रहा है। साक्षी और अजितेश की एक मंदिर में की गई शादी का सर्टिफ़िकेट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उस मंदिर के पुजारी का कहना है कि उन्होंने तो ऐसी कोई शादी कराई ही नहीं है। बता दें कि साक्षी ने अपने पिता से, अपनी और अपने पति, अजितेश की जान को ख़तरा बताया था। साक्षी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी सुरक्षा देने की अपील की है। 

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प्रयागराज के बेगम सराय स्थित अति प्राचीन राम जानकी मंदिर के पुजारी परशुराम दास ने कहा है कि इस तरह की कोई शादी उनके मंदिर में नहीं हुई है और साक्षी और अजितेश का कार्ड झूठा है। इसके अलावा अजितेश के पहले से सगाई किये जाने की फ़ोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। 
साक्षी और अजितेश दोनों ही बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। साक्षी के पिता भी कह चुके हैं कि साक्षी बालिग है और उसे अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है। यहाँ यह सवाल खड़ा होता है कि आख़िर क्यों इस तरह के फ़ोटो और शादी के कार्ड को वायरल किया जा रहा है? इसके पीछे की मंशा क्या है? क्या इसका मक़सद पति-पत्नी के चरित्र पर कीचड़ उछालना तो नहीं है? 
साक्षी का वीडियो वायरल होने के बाद तमाम टीवी चैनलों और डिजिटल मीडिया पर उसके और उसके पति के इंटरव्यू दिखाये गये हैं। देश भर में उसका वीडियो आने के बाद गली-मोहल्लों में चर्चा गरम है। इस चर्चा से परेशान साक्षी के विधायक पिता ने कहा है कि वह और उनकी पत्नी आत्महत्या कर सकते हैं। 

साक्षी और अजितेश की शादी होने के बाद उनके निजी जीवन के बारे में बातें करने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। साक्षी बालिग है और उसने अपनी इच्छा से अपना जीवनसाथी चुना है। शादी का फ़ैसला उन दोनों का है। अपने पिता से जान का डर होने के कारण साक्षी ने वीडियो के द्वारा अपनी बात सामने रखी लेकिन लोग हैं कि मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं। 
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क्या कुछ लोग इस बात से ख़फ़ा हैं कि एक ऊँची जाति की लड़की ने किसी दलित से कैसे शादी कर ली? या लोग इस बात से खुंदक में हैं कि एक लड़की ने अपने पिता और परिवार की मर्ज़ी के बग़ैर कैसे विवाह कर लिया? या फिर लोग इस बात से नाराज़ हैं कि साक्षी ने वीडियो क्यों बनाया और टीवी पर आकर क्यों अपनी बात कही? कुछ लोग सोशल मीडिया पर यह भी लिख रहे हैं कि एक लड़की अपने उस पिता की इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा रही है जिसने उसे जन्म दिया और पाल-पोस कर बढ़ा किया? कुछ लोग उसके पति पर ही उँगली उठा रहे हैं कि उसने एक मासूम सी लड़की को अपने जाल में फँसा लिया और अब वह उसे उसके पिता के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने के लिये भड़का रहा है? 
ये सारे सवाल भारतीय समाज की एक निहायत ही दुखती रग पर हाथ रखते हैं। सारे सवालों के घेरे में है एक लड़की। और एक सामंतवादी समाज किसी लड़की को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार नहीं देता। अगर वह मनमर्ज़ी करती है तो उसे अपनी जान गँवानी पड़ती है।
भारतीय समाज में रोज ऐसी ख़बरें अख़बारों की कतरनों में दम तोड़ देती हैं जिसे हम ऑनर किलिंग कहते हैं। यानी मर्ज़ी से शादी करने वाली लड़की का क़त्ल उसके ही परिवार के लोग कर देते हैं। साक्षी ने अपने वीडियो में इस ओर साफ़ इशारा किया है कि उसे अपने पिता और परिवार से जान का ख़तरा है। 
इन लोगों की नज़र में साक्षी ने तो दोहरा अपराध किया है। उसने न केवल मर्ज़ी से शादी की बल्कि एक ऊँची जाति की लड़की होने के बाद एक दलित से प्रेम और विवाह करने की हिमाक़त की है। भारतीय समाज में आज भी दलितों को बराबरी का हक़ नहीं है। जातिवादी प्रथा इतनी गहरे बैठी हुई है कि वह दलितों को समानता का हक़ नहीं देती। ऐसे में दलित से शादी करने की हिम्मत पूरी जाति व्यवस्था को ही चुनाती देती है। यह बात बहुत लोगों को हज़म नहीं हो रही है। लेकिन धुर जातिवादी होने का आरोप न लगे इसलिये अलग-अलग कारण बताकर उसे ही दोष दिया जा रहा है। यहाँ सवाल यह है कि भारत का संविधान उसे यह हक़ देता है कि वह अपनी मर्ज़ी से तय करे कि वह किसके साथ अपना जीवन व्यतीत करना चाहती है और उसको ऐसा करने से न तो उसका परिवार रोक सकता है, न समाज और न ही सरकार।
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क़मर वहीद नक़वी

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