अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, महिला ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर (रोकथाम, निषेध और निवारण) एक्ट 2013 का हवाला देते हुए कहा है कि दोनों ही पक्षों को जाँच रिपोर्ट को प्राप्त करने का अधिकार है।
ख़बर के मुताबिक़, यौन उत्पीड़न मामले की जाँच कर रही कमेटी को लिखे शिकायती पत्र में महिला ने कहा है कि अगर जाँच रिपोर्ट की एक कॉपी सीजेआई को दी जा सकती है तो वह भी इसकी कॉपी लेने की हक़दार है। कमेटी में जस्टिस एसए बोबडे, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी शामिल हैं।
महिला ने कहा है कि कमेटी की ओर से उन्हें भेजे गए पहले नोटिस और पहली सुनवाई में कई बार पूछने के बावजूद यह नहीं बताया गया कि यह जाँच प्रक्रिया इन हाउस है या नहीं। महिला ने कहा है कि हालाँकि कमेटी की ओर से अब मुझे और जनता को जाँच रिपोर्ट न देने के लिए इन हाउस प्रक्रिया के नियमों की बात की जा रही है।
महिला ने कहा कि यह बेहद अजीब है कि यौन उत्पीड़न के एक मामले में शिकायतकर्ता को तक उस रिपोर्ट की एक कॉपी नहीं दी जा रही है और कमेटी ने मेरी शिकायत को मुझे बिना कोई कारण बताए रोक लिया।
महिला ने पत्र में यह भी कहा है कि उसे जाँच रिपोर्ट की कॉपी नहीं दिया जाना प्राकृतिक नियमों के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा और यह न्याय पर बहुत बड़ी चोट होगी।
महिला ने पत्र में कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दिए गए एक फ़ैसले के मुताबिक़, यहाँ तक कि न्यायाधीशों की संपत्ति के बारे में भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत किसी भी नागरिक को जानकारी लेने का अधिकार है।वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी ट्वीट कर जनहित में कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की माँग की थी। उन्होंने इस मामले को घोटाला करार दिया था।
#NotInMyName
— indira jaising (@IJaising) May 6, 2019
This is a scandal
Indira Jaising v Supreme Court of India was also a case of sexual harassment by a sitting High Court of Karnataka.
It is a pre RTI case and is bad in law
Demand the disclosure of the findings of the enquiry committee in public interest https://t.co/Saw07mBPhV
यौन उत्पीड़न के आरोपों के सामने आने के बाद सीजेआई गोगोई ने कहा था, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बेहद, बेहद, बेहद गंभीर ख़तरा है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।’
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