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ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स के नियमन से जुड़ी लंबित याचिकाओं की कार्यवाही पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर की हाई कोर्ट के सामने ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफ़ॉर्म्स के नियमन से संबंधित लंबित याचिकाओं की कार्यवाही पर रोक लगा दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि शीर्ष अदालत के पिछले फ़ैसले के बावजूद जिसमें उसने ऐसी सभी याचिकाओं को क्लब करने का नोटिस जारी किया था, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में इन याचिकाओं में कार्यवाही चल रही है। 

केंद्र सरकार की ओर से ऐसे मामलों को क्लब करने के लिए एक ट्रांसफ़र याचिका अदालत में दायर की गई थी और तब अदालत ने इस पर नोटिस जारी किया था। इस याचिका में केंद्र सरकार ने मांग की थी कि देश की तमाम हाई कोर्ट में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स के नियमन से संबंधित याचिकाओं को क्लब कर दिया जाए। 

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अदालत ने कहा कि ट्रांसफ़र याचिका पर नोटिस जारी करने का मतलब है कि कार्यवाही पर रोक लग जानी चाहिए। 

मेहता ने अदालत को बताया कि देश की अलग-अलग हाई कोर्ट में इस संबंध में कई नई याचिकाएं दायर की गई हैं। इस पर अदालत ने कहा कि हम देश की सभी हाई कोर्ट में चल रही कार्यवाहियों पर रोक लगाते हैं और होली के बाद दूसरे हफ़्ते में इस मामले को सुनेंगे। 

नए नियम लाई थी सरकार 

मोदी सरकार ने पिछले महीने ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफ़ॉर्म को लेकर नए नियमों का एलान किया था। सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि इनके प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल नफ़रत फैलाने और फ़ेक न्यूज़ के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि सरकार इस बात के पूरी तरह ख़िलाफ़ है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल हिंसा भड़काने या किसी अन्य ग़लत काम के लिए हो। 

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उन्होंने कहा था कि नए नियमों के मुताबिक़ सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और भारत में रहने वाला ऐसा व्यक्ति जो समस्याओं को देखने वाला हो उसे भी अफ़सर के रूप में नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि टीवी को केबल नेटवर्क एक्ट और अख़बार को प्रेस काउंसिल के नियम फ़ॉलो करने होते हैं जबकि ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म के लिए ऐसे कोई नियम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल और ओटीटी तक सभी को नियमों का पालन करना पड़ेगा। 

जावड़ेकर ने कहा था कि हम मीडिया की आज़ादी का सम्मान करते हैं लेकिन डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को झूठ फैलाने का अधिकार नहीं है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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