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ग्रेजुएशन की परीक्षा नहीं तो जॉब के आवेदन कैसे होंगे; छात्रों का भविष्य दाँव पर?

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच देश भर में प्रभावित लाखों छात्रों के लिए क्या सरकार के पास कोई योजना है? पढ़ाई तो कहीं नहीं हो रही है लेकिन कहीं-कहीं परीक्षाएँ ली जा रही हैं और कहीं-कहीं नहीं भी। एक सवाल तो यह है कि जब कोरोना संक्रमण के डर से स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई नहीं हो सकती तो परीक्षा कैसे ली जा सकती है? और दूसरा सवाल यह है कि जब कुछ संस्थानों में या जॉब वैकेंसी के लिए परीक्षा ली जा सकती है तो ग्रेजुएशन की परीक्षा क्यों नहीं? यह सवाल इसलिए कि ग्रेजुएशन की परीक्षा नहीं होने से लाखों छात्र जॉब के लिए आवेदन करने से वंचित रह जा रहे हैं। अब इस वजह से कितने छात्रों का भविष्य ख़राब होगा, क्या इसकी चिंता विश्वविद्यालयों को है? 

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परीक्षाओं में एकरूपता नहीं होने से छात्रों के सामने एक अलग ही समस्या खड़ी हो गई है। एक परीक्षा के नहीं होने से छात्र नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं और जब तक अगली बार वैकेंसी आएगी तब तक कई छात्र ओवरएज हो जाएँगे। कानपुर के सीएसजेएम विश्वविद्यालय में बीएससी फ़ाइनल ईयर के छात्र औरेया ज़िले के निवासी अंशुमन सिंह सेंगर के सामने भी यही दिक्कत है। उन्होंने इसके लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा, लेकिन वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। 

अंशुमन सिंह सेंगर कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में एसआई के लिए वैकेंसी निकली है। इसके लिए योग्यता ग्रेजुएशन है और अधिकतम उम्र सीमा 28 वर्ष है। यह वैकेंसी 3-4 साल में एक बार निकलती है। अब जिसकी उम्र अभी 25 साल हो और कोरोना लॉकडाउन की वजह से ग्रेजुएशन के आख़िरी साल की परीक्षा नहीं दे पा रहा हो, क्या एसआई बनने की चाहत रखने वाला कभी बन पाएगा? क्योंकि जब तक अगली वैकेंसी आएगी तब तक वह उस नौकरी के लिए ओवरएज हो जाएगा। 
छात्र सेंगर कहते हैं कि या तो पुलिस एसआई की परीक्षा टाल दी जाए या फिर कुछ ऐसा प्रावधान किया जाए कि ग्रेजुएशन की परीक्षा होने के बाद सर्टिफ़िकेट की माँग की जाए।

ग्रेजुएशन के फ़ाइनल ईयर के छात्र अंशुमन कहते हैं कि ग्रेजुएशन की परीक्षा तो नहीं ली जा रही है लेकिन राज्य और केंद्र सरकार के अधीन आईबीपीएस आआरबी, पीओ और कलर्क की वैकेंसी लगातार आ रही है। आईबीपीएस और बिहार पुलिस एसआई, फ़ोरेस्ट रेंजर की वैकेंसी भी आई है लेकिन उसमें 21 जुलाई 2020 से पहले शैक्षिक योग्यता से संबंधित परीक्षाओं के परिणाम आने वाले ही फ़ॉर्म भर सकते हैं। वह पूछते हैं कि जब यूपीएससी एसिस्टेंट कमांडेंट की परीक्षा में फ़ाइनल ईयर वालों के लिए परीक्षा में बैठने की अनुमति दे सकता है तो राज्य सरकारें और बैंक की वैकेंसी में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। 

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आशुतोष तिवारी नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया, 'ग्रेजुएशन फ़ाइनल ईयर वालों को समय से एग्जाम न होने के कारण हम लोग इस समय आने वाली किसी भी वैकेंसी में अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। अगर कोरोना न होता तो हम लोग इस समय जो वैकेंसी आ रही है उसमें एलिजिबल होते। कृपया फ़ाइनल ईयर वालों को मौक़ा दे सरकार।'

कृष्णा नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा कि वह ग्रेजुएशन फ़ाइनल ईयर के छात्र हैं और उन्हें MAT स्कोर के आधार पर चेन्नई के एक कॉलेज में एमबीए की सीट मिली है। उन्होंने लिखा है कि वह एजुकेशन लोन लेकर एमबीए करना चाह रहे हैं लेकिन बैंक वाले बिना ग्रेजुएशन के सर्टिफ़िकेट के लोन नहीं दे रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि कोरोना की वजह से ग्रेजुएशन की उनकी परीक्षा नहीं हो पा रही है। 
आईआईटी-जेईई, नीट जैसी परीक्षाओं पर भी छात्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बीच आईआईटी-जेईई, नीट जैसी परीक्षाओं के आयोजन के ख़िलाफ़ देश भर में छात्र गु़स्से में हैं और माँग कर रहे हैं कि इसे टाला जाए। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। अब तो इस पर विपक्षी दलों के नेता भी मुखर होकर आवाज़ उठा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने भी इस पर बैठक बुलाई है। यानी कुल मिलाकर स्थिति यह है कि जहाँ छात्र परीक्षा कराने की माँग कर रहे हैं वहाँ हो नहीं रही है और जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं वहाँ सरकार परीक्षा कराने पर अड़ी है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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