केंद्र सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को लेकर बनाए गए नियमों के मामले में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने प्रतिक्रिया दी है। पिचाई ने गुरूवार को कहा कि गूगल भारत के नियमों के मुताबिक़ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पिचाई ने कहा है कि अभी नए नियम आए ही हैं और हमारी स्थानीय टीमें इस पर काम कर रही हैं। हम हर देश में वहां के नियमों का पालन करते हैं।
पिचाई ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेन्स के दौरान कहा कि हमारी रिपोर्ट्स पूरी तरह साफ हैं, जब भी हम सरकार के अनुरोध का पालन करते हैं, इसे अपनी रिपोर्ट्स में प्रमुखता से दिखाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज़ाद इंटरनेट एक बुनियादी चीज है और भारत में ऐसा लंबे समय से है।
पिचाई ने कहा, “एक कंपनी के तौर पर हम आज़ाद इंटरनेट की वकालत करते हैं और दुनिया भर में अपने नियामकों से इसे लेकर बात करते रहते हैं।” भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रहने वाले पिचाई ने कहा कि गूगल विधायी नियमों का पालन करती है और जिन मामलों में पीछे हटने की ज़रूरत होती है, वहां पीछे भी हटती है।
भारत सरकार ने इस साल 25 फ़रवरी को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के लिए कुछ नियमों का एलान किया था। इन नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो गया है।
सरकार के नियमों के संदर्भ में ही सुंदर पिचाई की प्रतिक्रिया आई है।
वाट्सऐप पहुंची हाई कोर्ट
लेकिन वाट्सऐप ने सरकार की ओर से जारी इन नए नियमों के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। अदालत में दायर याचिका में वाट्सऐप ने कहा है कि इन नियमों से यूज़र की निजता की सुरक्षा भंग होगी। वाट्सऐप ने अदालत से कहा है कि नये क़ानूनों में से एक का प्रावधान ग़ैर-संवैधानिक है।
लेकिन सरकार ने कहा है कि वह नागरिकों की निजता के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन यह तार्किक प्रतिबंधों के अधीन ही है। सरकार ने कहा है कि 'कोई भी मौलिक अधिकार संपूर्ण नहीं है'।
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