केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने किसान आंदोलन को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि अभी भी हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। अदालत ने कहा कि इन सभी याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई की जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि वह किसानों की स्थिति को समझती है।
बीते 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को दिल्ली के बॉर्डर्स से हटाने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से कहा था कि अगर आप खुले मन से बातचीत नहीं करेंगे तो यह फिर से फ़ेल हो जाएगी। उसके बाद से भी किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत फ़ेल हो चुकी हैं।
8 जनवरी को होगी बैठक
किसानों और सरकार के बीच बीते शनिवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही थी। अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि उनका जोर इसी बात पर रहा कि सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने ही पड़ेंगे। इसके अलावा एमएसपी को क़ानूनी रूप देने की मांग भी की गई। किसान नेताओं ने कहा कि अगले दौर की बातचीत में भी कृषि क़ानून और एमएसपी पर ही बातचीत होगी।
आंदोलन तेज़ करने का एलान
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मौक़े पर ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसेंगे यानी ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 7 जनवरी को किसान ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और यह 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड का रिहर्सल होगा।
सरकार को चेताया
किसानों ने एक बार फिर मोदी सरकार को चेताया है कि वह उनकी मांगों को गंभीरता से ले और उन्हें तुरंत मान ले। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वे 7 से 20 जनवरी तक पूरे देश में ‘देश जागृति अभियान’ चलाएंगे। इसके साथ ही 18 जनवरी को महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर किसान चेतना दिवस मनाया जाएगा।
किसानों के आंदोलन पर देखिए वीडियो-
किसान नेताओं ने कहा कि हरियाणा में टोल प्लाज़ा फ्री रहेंगे और सभी पेट्रोल पंप और मॉल्स बंद रहेंगे। किसानों ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का इनका गठबंधन बने रहने तक हरियाणा भर में विरोध जारी रहेगा और अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार भी जारी रहेगा।
किसान नेता इससे पहले भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद का कार्यक्रम कर चुके हैं। हरियाणा में टोल प्लाजा फ्री करने का भी कार्यक्रम उन्होंने किया है। 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान किसानों ने थालियां बजाकर इसका विरोध किया था।
किसानों का कहना है कि वे अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक नहीं जाएंगे जब तक ये कृषि क़ानून वापस नहीं हो जाते। उनका कहना है कि ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट हैं और इनके लागू होने से वे तबाह हो जाएंगे।
किसानों ने कहा कि 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों क़ानूनों की प्रतियों को प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करने के लिए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
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