loader

सुप्रीम कोर्ट : कहीं भी, कभी भी प्रदर्शन का अधिकार नहीं

क्या दिल्ली की सीमा पर बीते ढ़ाई महीने से चल रहा किसान आन्दोलन ग़ैरक़ानूनी है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शाहीन बाग आन्दोल को ग़ैरक़ानूनी घोषित कर दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसले में कहा है कि 'विरोध प्रदर्शन करने और असहमति जताने का अधिकार कुछ कर्तव्यों के साथ है और यह कहीं भी व कभी भी नहीं हो सकता है।' 

तीन जजों की बेंच ने शाहीन बाग आन्दोलन से जुड़े 12 कार्यकर्ताओं की एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह बात कही। बेंच ने शाहीन बाग आन्दोलन को ग़ैरक़ानूनी क़रार दिया। 

ख़ास ख़बरें

क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने?

बता दें कि बीते साल दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ तकरीबन तीन महीने तक धरना प्रदर्शन चला था। 

जस्टिस एस. के. कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, "कहीं भी और कभी भी विरोध प्रदर्शन का अधिकार नहीं हो सकता है। कुछ स्वत: स्फूर्त प्रदर्शन हो सकते हैं, पर लंबे समय के चलने वाले विरोध प्रदर्शनों के मामले में दूसरों के अधिकारों को प्रभावित करते हुए सार्वजनिक स्थानों पर क़ब्ज़ा नहीं किया जा सकता है।"

इसके पहले अक्टूबर, 2020 में एक फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि 'असहमति और लोकतंत्र साथ- साथ चलते हैं, पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन स्वीकार्य नहीं हैं।'

किसान आन्दोलन

बता दें कि हज़ारों किसान कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमा से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धरने पर बैठे हैं। वे सितंबर 2020 में पारित तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की माँग पर अड़े हैं, लेकिन सरकार ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है। 

इन किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से पर डेरा डाला हुआ है, जिससे यातायात प्रभावित होने और स्थानीय लोगों को दिक्कतें होने की शिकायतें आई हैं। 

शाहीन बाग आन्दोलन के समय भी यह मुद्दा उठा था। 

शाहीन बाग आन्दोलन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। बाद में 'टाइम' पत्रिका ने इस आन्दोलन की प्रतीक बनी बुजुर्ग महिला बिलकस दादी पर कवर स्टोरी की थी।

supreme court : no right to protest anywhere anytime - Satya Hindi
शाहीन बाग में लगभग तीन महीने तक महिलाएं धरने पर बैठी रहीं।

क्या है अनुच्छेद 19 में?

संविधान सभा में 2 अक्टूबर, 1949, को अनुच्छेद 19 पर बहस हुई थी। संविधान के अनुच्छेद 19 में कहा गया है, "हर नागरिक को बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी। उसे शांतिपूर्ण ढंग से बग़ैर किसी हथियार के एकत्रित होने, भारत में कहीं भी जाने, भारत में कहीं भी बसने, कोई भी क़ानूनी पेशा अपनाने और संगठन बनाने के अधिकार होंगे।"

लेकिन इसके साथ ही राज्य को यह अधिकार भी है कि वह 'रीज़नेबल रीस्ट्रिक्शन्स' यानी 'उचित रोक' लगा सकता है।

विरोध प्रदर्शन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में ही देखा गया है। 

सार्वजनिक संपत्ति का मामला

इसके पहले एक दूसरे फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि किसी आन्दोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुक़सान की भरपाई करने के लिए आयोजकों से पैसे की वसूलने का हक़ राज्य को होगा।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सीएए आन्दोलन के दौरान इसका इस्तेमाल किया था। उसने विरोध प्रदर्शन के आयजकों पर ज़ुर्माना लगा कर पैसे वसूले थे। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें