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सेंट्रल विस्टा: सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- अगले आदेश तक रोकें काम

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को लेकर सोमवार को शीर्ष अदालत ने उसे कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने इस बात पर नाराज़गी ज़ाहिर की कि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ रही है जबकि री- डेवलपमेंट प्लान से जुड़े कई मुद्दे अभी अदालत के सामने लंबित हैं। 

अदालत ने कहा कि सरकार सभी निर्माण कार्यों को तुरंत रोके। हालांकि उसने 10 दिसंबर को होने वाले आधारशिला कार्यक्रम को किए जाने की अनुमति दे दी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को स्पष्ट निर्देश दिए कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत किसी भी प्रकार का कार्य अभी नहीं होना चाहिए। इसके तहत किसी तरह के निर्माण को ध्वस्त न करना या पेड़ों को न गिराना शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर नाराज़गी जताई कि केंद्र सरकार निर्माण कार्य के लिए बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ रही है। 

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तुषार मेहता ने कहा कि जब तक शीर्ष अदालत अपना फ़ैसला नहीं सुना देती तब तक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत किसी भी तरह का निर्माण, ध्वस्तीकरण या पेड़ों को शिफ़्ट करने का काम नहीं किया जाएगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को इसकी आधारशिला रखने जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन बनाया जा रहा है। इसके निर्माण में 971 करोड़ की लागत आएगी और इसे 2022 तक पूरा किया जाना है। 

Supreme Court slams Centre for central vista project - Satya Hindi

इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा संसद भवन के सामने नया तिकोना भवन बनेगा। सांसदों के लिए लॉन्ज, पुस्तकालय, संसद की अलग-अलग समितियों के कमरे, पार्किंग की जगह सहित कई तरह की सुविधाएं इस भवन में उपलब्ध होंगी। नया भवन 64500 स्क्वायर किमी में बनेगा। 

सोनिया ने कहा था- रद्द कर दें

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस साल अप्रैल में कहा था कि मोदी सरकार को इस प्रोजेक्ट को रद्द कर देना चाहिए। उस दौरान कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन से जो आर्थिक नुक़सान हो रहा था, उसकी भरपाई के लिए उन्होंने कुछ और सुझाव सरकार को दिए थे। सोनिया ने कहा था कि सरकार को विज्ञापन देने रोक देने चाहिए और मंत्रियों की विदेश यात्रा पर रोक लगा देनी चाहिए। 

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सोनिया ने कहा था कि देश में मौजूदा संसद की बिल्डिंग में आसानी से कामकाज चल रहा है और ऐसे में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में लगने वाले पैसे का इस्तेमाल नए अस्पताल बनाने, कोरोना महामारी की रोकथाम में लगे फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए पीपीई किट और ज़रूरी अन्य सुविधाएं जुटाने के लिए किया जाना चाहिए। 

केंद्र की मंशा पर सवाल

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में वास्तुकारों और जनता को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिये मात्र 48 घंटे का वक्त दिया गया। इसमें 1292 आपत्तियों को दर्ज किया गया। इन आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद वास्तुकार, योजनाकार और विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट में भूमि उपयोग के बदलाव के ख़िलाफ़ केस लड़ने पहुंचे। सवाल ये उठा कि आख़िर सरकार को इतनी अहम योजना के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेने से भी इनकार क्यों है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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