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नागरिकता क़ानून मूल रूप से भेदभावपूर्ण, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा

सरकार भले ही कहे कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर चल रहे आन्दोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ है, पर इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है। अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पर अपनी असहमति जताई है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार से जुड़े संगठन ने इस अधिनियम को भेदभाव करने वाला बताते हुए इस पर चिंता जताई है। 

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यूएन ह्यूमन राइट्स ने ट्वीट कर कहा है, ‘हमें इस बात पर चिंता है कि नागरिकता संशोधन क़ानून मूल रूप से अपने चरित्र से ही भेदभाव करने वाला है। उत्पीड़ित समूहों को सुरक्षा देने के लक्ष्य का हम स्वागत करते हैं, पर इस नए क़ानून में मुसलमानोें को शामिल नहीं किया गया है।’

क्या है इस क़ानून में?

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, में यह प्रावधान है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014, तक भारत आए हुए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के लोगों को नागरिकता दी जा सकती है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। सरकार का तर्क है कि इन देशों में इन धार्मिक समुदायों के लोगों का उत्पीड़न होता है, इसलिए मानवता के आधार पर उन्हें नागरिकता दी जाएगी। लेकिन ये मुसलिम बहुल राज्य हैं, लिहाज़ा यहाँ मुसलमानों के उत्पीड़न का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए मुसलमानों को इस अधिनियम में शामिल नहीं किया गया है। 
संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा :

ऐसा लगता है कि संशोधित क़ानून भारत के संविधान में क़ानून की नज़र में सबको बराबरी का हक़ देने की प्रतिबद्धता को कमज़ोर करता है। यह नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय समझौते और नस्लीय भेदभाव को ख़त्म करने के लिए हुए समझौते का उल्लंघन है। भारत इन क़रारों का सदस्य देश है। हालाँकि नागरिकता देने से जुड़ा भारत का क़ानून अपनी जगह कायम है, पर लोगों को राष्ट्रीयता हासिल करने के मामले में इस संशोधन से भेदभाव होगा।


यूएन ह्यूमन राइट्स के बयान का अंश

संयुक्त राष्ट्र के इस बयान के एक दिन पहले ही अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भारत के इस नए क़ानून पर चिंता जताते हुए नसीहत दी थी कि नई दिल्ली अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करे।  

पूरे पूर्वोत्तर समेत देश के कई हिस्सोें में इस अधिनियम के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। भारी तादाद में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, पर कई जगहों पर हिंसक वारदात हो रही हैं। अब तक इस तरह की हिंसक घटनाओं में असम में दो लोगों की मौत हो चुकी है। 

दिल्ली में लाठीचार्ज

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के कई हिस्सों में विरोध के बीच दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इसलामिया में प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया। पुलिस और छात्रों के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई। स्थिति अनियंत्रित होती देख पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज किया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आँसू गैस के गोले भी दागे। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि छात्रों द्वारा कथित तौर पर पथराव करने बाद पुलिस ने बल का प्रयोग किया। क़रीब 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर झड़प की तसवीरें वायरल होने लगीं। कई लोगों ने इसके वीडियो शेयर किए। 

मेघालय में प्रदर्शन तेज़

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ मेघालय में प्रदर्शन और तेज़ हो गया है। राज्य की राजधानी शिलांग में इंटरनेट बंद होने के बावजूद हज़ारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतरे। राज भवन के पास कथित तौर पर प्रदर्शन करने वालों द्वारा पथराव किए जाने के बाद पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। रिपोर्टों में कहा गया है कि कई लोग घायल हुए हैं। ऐसे घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराए जाने की सूचना है। हालाँकि आधिकारिक तौर पर घायलों की ठीक-ठीक संख्या का पता नहीं चल पाया है। हिंसात्मक प्रदर्शन के बाद शिलांग के कुछ हिस्से में लगाए गए कर्फ़्यू में आज सुबह 10 बजे ही 12 घंटे के लिए ढील दी गई थी। मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवा दो दिन के लिए बंद कर दी गई है। गुरुवार को राज्य में ज़बरदस्त प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने यह क़दम उठाया है। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ असम, त्रिपुरा सहित सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।

असम-त्रिपुरा में हिंसा

असम में बड़े स्तर पर आंदोलन जारी है। शुक्रवार को हज़ारों की तादाद में छात्रों ने प्रदर्शन किया। इससे पहले गुरुवार की शाम गुवाहाटी के लाचित नगर में आंदोलनकारियों पर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियाँ चलाई थीं जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। असम और त्रिपुरा में सेना तैनात की गई है। दोनों राज्यों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। विरोध को देखते हुए मेघालय में भी मोबाइल इंटरनेट को बंद किया गया है। गुवाहाटी में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू जारी है। कई जगहों पर बीजेपी और आरएसएस कार्यालयों पर हमले किए गए हैं।
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क़मर वहीद नक़वी

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