loader

सीएए : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। यूएनएचसीआर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि वह इस क़ानून को रोकने के लिए हस्तक्षेप करे।  
इस पर विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया जताई है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,  'नागरिकता संशोधन क़ानून भारत का अंदरूनी मामला है, यह क़ानून बनाने के भारतीय संसद के सार्वभौमिक अधिकार से जुड़ा हुआ है। हम यह मानते हैं कि भारत की सार्वभौमिकता के मामले में किसी भी विदेशी ताक़त की कोई भूमिका नहीं है।' 
देश से और खबरें
इसके पहले 27 फरवरी, 2020 को उच्चायुक्त के कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर और नागरिकता संशोधन क़ानून दोनों का ही जिक्र किया था और गहरी चिंता जताई थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 'दिसंबर 2019 में भारत में पारित नागरिकता संशोधन क़ानून बेहद चिंता का विषय है। भारत में बहुत बड़ी तादाद में लोगों ने, जिनमें सभी समुदायों के लोग शामिल हैं, इसका विरोध किया है जो मोटे तौर पर शांतिपूर्ण रहा है। इन लोगों ने भारत में  लंबे समय से चली आ रही धर्मनिरपेक्षता की परंपरा का समर्थन किया है।'
इसके साथ ही इसमें इस बात पर चिंता जताई गई है कि मुसलमानों और दूसरे समूहों पर हुए हमलों पर पुलिस निष्क्रिय रही है, इसके साथ ही यह भी चिंता की बात है कि पुलिस ने इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने में ज़्यादातियाँ की हैं। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए, जिनमें लोग मारे गए हैं। 

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को यह रिपोर्ट सौंपी है। 

इसके पहले यूएनएचसीआर ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद राज्य की स्थिति पर  चिंता जताई थी। उसने भारत से कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर की जनता के तमाम अधिकार बहाल करे। यूएनएचसीआर ने एक बयान जारी कर कहा था, 'हम इस पर बहुत चिंतित हैं कि भारत-प्रशासित कश्मीर के लोग अभी भी ज़्यादातर मानवाधिकारों से वंचित हैं। हम भारत के अधिकारियों से यह अपील करते हैं कि वे इस स्थिति को ठीक करें और जो हक़ अभी नहीं दिए जा रहे हैं, उन्हें तुरन्त बहाल करें।' 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें