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अनशन पर टिकैत, कहा, कृषि क़ानून रद्द नहीं हुए तो आत्महत्या कर लेंगे

क्या दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर में धरने पर बैठे हज़ारों किसानों को ज़बरन हटाया जाएगा? क्या उन पर पुलिस कार्रवाई जल्द ही की जाएगी? ये सवाल इसलिए उठते हैं कि ग़ाज़ीपुर में बड़ी तादाद में पुलिस बल और अर्द्ध सुरक्षा बल के जवानों को तैनात कर दिया गया है। वहाँ पुलिस ने फ्लैग मार्च भी किया है। इसके साथ ही बहुत बड़ी तादाद में सरकारी बसें वहाँ खड़ी कर दी गई हैं। 

इन तैयारियों को देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जल्द ही पुलिस कार्रवाई कर धरने पर बैठे किसानों को वहां से ज़बरन हटाया जाएगा।

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किसान संगठनों को नोटिस

'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने धरने पर बैठे किसान संगठनों को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली करने का नोटिस दे दिया है। इस नोटिस में गुरुवार की रात तक वह जगह खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है। नोटिस गुरुवार दोपहर दिया गया। पुलिस ने कहा है कि वह इलाक़ा खाली कराने को तैयार है। 

'आज तक' ने ख़बर दी है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने धरना ख़त्म कराने का आदेश जारी कर दिया है। योगी सरकार ने सभी ज़िलाधिकारियों और पुलिस-प्रशासन को इससे जुड़ा आदेश दे दिया है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए उनसे शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि वे गिरफ़्तार होने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो लिखत-पढ़त के साथ क़ानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ़्तार कर ले।

टिकैत ने कहा, 

"यह वैचारिक लड़ाई है, वैचारिक क्रांति है, यह विचार से ही खत्म होगी, लाठी, डंडे से नहीं।"


राकेश टिकैत, किसान नेता

'लाल किला वारदात की जाँच हो'

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने माँग की है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज इसकी जाँच करें कि लाल किले पर किसने एक धर्म से जुड़ा झंडा फहराया है। उन्होंने कहा कि इसके दो महीने पहले के फ़ोन कॉल्स के रिकॉर्ड की जाँच की जाए। 

आत्महत्या की धमकी दी टिकैत ने

ग़ाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हिंसा हुई तो उसके लिए वे ज़िम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि यदि गोली चलती है तो इसके लिए पुलिस ज़िम्मेदार होगी।

टिकैत ने धरना स्थल खाली करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस चाहे तो उन्हें गिरफ़्तार कर ले, पर धरना ख़त्म नहीं होगा।

इसके बाद बात करते हुए वे काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि यदि कृषि क़ानून रद्द नहीं हुए तो वे आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने इसके साथ ही वहीं पर अनशन पर बैठने का एलान कर दिया। 

टिकैत ने कहा कि किसान आन्दोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि "किसानों को रास्ते से भटकाया गया, आन्दोलन को तोड़ने की साजिश रची गई है, प्रशासन ने किसानों को अपनी जाल में फंसाया, उन्हें उलझाया।"

पुलिस का नोटिस

इसके पहले दिल्ली पुलिस के लोग गुरुवार दोपहर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर जाकर राकेश टिकैत को नोटिस दे आए। दिल्ली पुलिस मंगलवार को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में कई नेताओं को लुक आउट नोटिस जारी कर रही है। राकेश टिकैत ने कहा है कि वे जल्द ही पुलिस को नोटिस का जवाब देंगे। 
UP Police crackdown liekly at ghazipur border, rakesh tikait threatens suicide - Satya Hindi

दूसरी ओर, हरियाणा के सिंघु बोर्डर पर एक हिन्दू संगठन ने धरने पर बैठे किसानों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। बख़्तावरपुर और हामिदपुर में कुछ लोगों ने जुलूस निकाल कर किसानों के ख़िलाफ़ नारे लगाए और उनसे वह जगह खाली कर चले जाने को कहा। 

इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर मसानी बराज के पास का इलाक़ा यातायात के लिए खोल दिया गया है। वहां धरने पर बैठ किसान पहले ही वहां से जा चुके हैं। 

UP Police crackdown liekly at ghazipur border, rakesh tikait threatens suicide - Satya Hindi

विपक्ष का समर्थन

इस बीच  सोलह विपक्षी दलों ने बजट सत्र के पहले होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण का बायकॉट करने का फ़ैसला किया है।

इन दलों के नेताओं ने इसका एलान करते हुए कहा है कि वे आन्दोलनकारी किसानों के साथ है और उनके साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बायाकॉट करेंगे। इसके साथ ही इन दलों ने एक बार फिर तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की माँग सरकार से की है। 

जिन राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बायकॉट करने का फ़ैसला किया है, उनमें कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, सीपीआई, सीपीआईएम, आरजेडी, डीएमके, समाजवादी पार्टी, पीडीपी प्रमुख हैं।

इन दलों ने एक साझा बयान में कहा है कि "ये कृषि क़ानून राज्यों और संविधान के संघीय ढाँचे पर के ख़िलाफ़ हैं।" इन दलों का कहना है कि "क़ानून संसद में रखे जाने के पहले किसी से राय मशविरा नहीं किया गया", "आम सहमति नहीं बनाई गई" और "विपक्ष की आवाज़ को दबा दिया गया।" 

UP Police crackdown liekly at ghazipur border, rakesh tikait threatens suicide - Satya Hindi

दो महीने से चल रहा है आन्दोलन

बता दें कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हज़ारों किसान यहाँ दो महीने से डेरा डाले हुए हैं। इनकी माँग इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है। सरकार के साथ 10 दौर की बातचीत नाकाम रही है। सरकार का कहना है कि वह किसानों की माँगों पर विचार करने और उस हिसाब से क़ानून में संशोधन करने को तैयार है, पर क़ानून रद्द नहीं किए जा सकते हैं।

अंतिम दौर की बातचीत में सरकार ने कहा कि वह इन विवादास्पद क़ानूनों पर डेढ़ साल के लिए रोक लगा सकती है और इस दौरान बातचीत की जा सकती है। पर किसान संगठनों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वे क़ानून रद्द करने से कम किसी बात राजी नहीं हैं। 

मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हुई, जिसमें हज़ारों किसान ट्रैक्टर लेकर तय रूट से अलग हो कर दिल्ली में घुस गए, हिंसा हुई, लाठीचार्ज हुआ, आँसू गैस के गोले छोड़े गए। कुछ लोगों ने लाल किले पर चढ़ कर सिखों का पवित्र झंडा निशान साहिब फहरा दिया। 

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क़मर वहीद नक़वी

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