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हम देश के लिए खेल रहे हैं, जातीय टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए: वंदना कटारिया

भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने उनके घर के बाहर जातीय गालियां देने वाले और बेहूदगी करने वालों को जवाब दिया है। दलित समाज से आने वालीं वंदना ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा कि उन्हें उनके घर के बाहर हुई इस घटना के बारे में पता चला है। 

26 साल की इस महिला खिलाड़ी ने कहा, “हम लोग देश के लिए खेल रहे हैं और जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए कुछ भी ना करें, कास्टिंगबाज़ी जैसा, जो मैंने थोड़ा सा सुना था, वो सब ना हो।”

वंदना ने आगे कहा, “सिर्फ़ हॉकी के बारे में सोचें, युवा लड़कियां हैं और हम देश के लिए खेल रही हैं तो हम सब को एक होना चाहिए, मतलब हर चीज को।” वंदना ने कहा कि जब वे अपने परिवार से बात करेंगी, उसके बाद ही इस घटना के बारे में कोई टिप्पणी करेंगी।  

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वंदना कटारिया अकेली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक में गोल दागने की हैट ट्रिक लगाई है। वंदना ने शुक्रवार को ब्रिटेन के साथ हुए मुक़ाबले में भी एक गोल दागा। 

जातिसूचक गालियां दी थीं 

भारत और अर्जेंटीना के बीच बुधवार को हुए मैच में महिला हॉकी टीम की हार के बाद वंदना के परिजनों को जातीय अपमान का शिकार होना पड़ा था। जातीय अहंकार के नशे में डूबे कुछ लोग वंदना के घर के बाहर पहुंच गए थे और उन्होंने इस हार के लिए महिला हॉकी टीम में शामिल दलित खिलाड़ियों को जिम्मेदार ठहराया था। इन लोगों ने वंदना के परिवार को जातिसूचक गालियां दी थीं और पटाखे जलाए थे।

देखिए, इस विषय पर चर्चा- 

दो को भेजा जेल 

वंदना कटारिया उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रोशनाबाद गांव की रहने वाली हैं। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है। वंदना के भाई चंद्रशेखर कटारिया की शिकायत पर हरिद्वार जिले की सिडकुल पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त रोशनाबाद निवासी सुमित चौहान, अंकुर, विजयपाल के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था। पुलिस ने विजयपाल और अंकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

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इस घटना के सामने आने के बाद अभियुक्तों को सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ लगाई गई थी। क्योंकि एक ओर सारा देश महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर गर्व कर रहा था, वहीं जातीय अहंकार में डूबे इन लोगों की वजह से वंदना के परिवार को जातीय अपमान का घूंट पीना पड़ा था। 

जातीय अहंकार के कारण दलितों के साथ मारपीट, भेदभाव होने की ख़बरें इस आधुनिक युग में भी आम हैं। लेकिन टीम की हार के लिए किसी पुरूष या महिला खिलाड़ी को उसकी जाति के कारण निशाना बनाना, घिनौनी जातिवादी सोच का वीभत्स रूप है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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