मशहूर उद्योगपति और अरबों रुपए के क़र्ज़ लेकर भागे हुए विजय माल्या का ब्रिटेन से भारत प्रत्यावर्तन फ़िलहाल टल गया है।
एनडीटीवी से बात करते हुए ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा कि 'कुछ क़ानूनी मसले हैं, जिनका निपटारा होना बाकी है।'
ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा कि ब्रिटेन के नियम के अनुसार, जब तक पूरे मामले का निपटारा नहीं हो जाता, किसी को प्रत्यावर्तित नहीं किया जा सकता है। अभी कुछ मुद्दे अनसुलझे रह गए हैं। लेकिन उन्होंने गोपनीयता का हवाला देते हुए इस पर विस्तार से कुछ कहने से इनकार कर दिया।
इसके पहले बंद पड़े किंगफ़िशर एअरलाइन्स के मालिक माल्या ने ब्रिटेन से प्रत्यावर्तन रुकवाने के लिए वहाँ की अदालत में याचिका दायर की थी। वह यह मुक़दमा हार चुके हैं और उन्हें भारत वापस भेजने का आदेश ब्रिटिश अदालत दे चुकी है। इस पर ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय को अंतिम फ़ैसला लेना है। समझा जाता था कि ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने उनके प्रत्यावर्तन की मंजूर दे दी है और उनका प्रत्यावर्तन गुरुवार को हो सकता था। लेकिन अंतिम समय यह फ़ैसला टल गया।
9,000 करोड़ का क़र्ज
बता दें कि इस मशहूर शराब व्यापारी ने भारत में बैंकों से 9,000 करोड़ रुपए के क़र्ज़ लिए। लेकिन उसे चुकाए बग़ैर लंदन चले गए और वहीं रह रहे हैं। भारत में उन पर मनी लॉन्डरिंग का आरोप लगाया गया है, उन्हें नोटिस दिया गया है। बीते दिनों माल्या एक बार फिर चर्चा में थे जब प्रत्यावर्तन का मुक़दमा हारने के बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि
वह सारा पैसा वापस कर देंगे, उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे वापस ले लिए जाएं।
माल्या की पेशकश
माल्या ने प्रधानमंत्री के आर्थिक पैकेज का स्वागत करते हुए ट्वीट किया था, 'कोविड-19 राहत पैकेज के लिए बधाई! वे जितनी मुद्रा चाहें, छाप सकते हैं। पर क्या मुझ जैसे छोटे अंश दाता की लगातार उपेक्षा करना ठीक है, जो पेशकश कर रहा है कि सरकारी बैंकों का पूरा क़र्ज़ चुका देगा?'विजय माल्या फ़िलहाल 6,50,000 ब्रिटिश पाउंड की ज़मानत पर हैं। वह लंदन में रहते हैं। भारत में उन पर आरोप है कि उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और दूसरे बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए कर्ज़ लेकर नहीं चुकाए, पैसे को दूसरी जगह निवेश किया, ग़लत तरीके से कंपनियों से निकाल लिया और ग़ैरक़ानूनी तरीके से विदेश भेज दिया।
भारत में बैंकों की ओर से दबाव बढ़ने पर माल्या ने मार्च 2016 में देश छोड़ दिया था और अप्रैल 2017 से ही वह जमानत पर है। माल्या ने एक बार दावा किया था कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले उनकी तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाक़ात हुई थी। वित्त मंत्री ने उनके इस दावे को ख़ारिज कर दिया था। माल्या के इस दावे के बाद भारत में काफ़ी हंगामा हुआ था।
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