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कोरोना जाँच में सबसे पीछे हैं बंगाल, बिहार, यूपी और एमपी

ऐसे समय जब पूरे देश में कोरोना संक्रमितों की तादाद इस रफ़्तार से बढ रही हो कि एक दिन में 3,900 नए मामले सामने आ रहे हों, ऐसे कई राज्य हैं जहाँ संक्रमितों की संख्या बहुत ही कम है। इसके साथ ही ये वे राज्य हैं, जहाँ कोरोना जाँच बहुत ही कम हो रही हैं। 

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पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वे राज्य हैं, जहाँ जाँच की संख्या राष्ट्रीय औसत का 25 प्रतिशत है।

बहुत ही कम जाँच

रविवार को दस लाख लोगों पर 818 लोगों की कोरोना जाँच का राष्ट्रीय औसत था। लेकिन पश्चिम बंगाल में यह संख्या प्रति दस लाख पर 230 है। इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि यह राष्ट्रीय औसत का एक चौथाई है। 
पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य कर्मियों के स्वयंसेवी संगठन 'बंगाली फ़ीजिशियन्स' ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिख कर कहा था कि राज्य में प्रति दस लाख 1,000 टेस्ट की क्षमता है।

कहाँ कितनी जाँच?

बिहार में प्रति दस लाख व्यक्ति 267 कोरोना जाँच हुई तो उत्तर प्रदेश में यह संख्या 429 है। मध्य प्रदेश में प्रति दस लाख 642 लोगों की कोरोना जाँच की गई है। 
जब लॉकडाउन का एलान किया गया था, 25 मार्च को भारत में कोरोना जाँच इतनी कम हुई थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर चिंता जताई थी। 
कोरोना जाँच में सबसे आगे दिल्ली है। वहाँ प्रति दस लाख व्यक्ति पर 3,486 लोगों की जाँच की गई। यह राष्ट्रीय औसत से चार गुने से भी अधिक है।
इसके बाद आंध्र प्रदेश का स्थान है, जहाँ 2,313 लोगों की जाँच प्रति दस लाख लोगों पर हुई है। जम्मू-कश्मीर में यह तादाद 2,084, तमिलनाडु में 1,932, राजस्थान में 1,688 और महाराष्ट्र में 1,423 है। 

प्रति दस लाख लोगों पर हुई जाँच कोरोना की लड़ाई में अहम है, क्योंकि इससे जनसंख्या के हिसाब से जाँच का पता चलता है। इसे इससे समझ सकते हैं कि महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा टेस्ट हुए, लेकिन दिल्ली में प्रति दस लाख व्यक्ति पर जाँच सबसे अधिक हुई है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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