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क्या चिदंबरम ने वाकई घपला किया था, क्या है आईएनएक्स का मामला?

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर नियमों का उल्लंघन कर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की अनुमति दिलवाने और मनी लॉन्डरिंग यानी ग़लत तरीके से पैसे बाहर भेजने के आरोप हैं। 

क्या है मामला?

सीबीआई और ईडी का कहना है कि आईएनएक्स मीडिया ने 13 मार्च, 2007 को फ़ॉरन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफ़आईपीबी) के पास अर्जी दी थी कि उसे मॉरीशस की एक कंपनी से 4.60 करोड़ रुपये के निवेश की अनुमति दी जाए, साथ ही कंपनी में 'डाउनस्ट्रीम इनवेस्टमेंट' यानी कंपनी खुलने के बाद उसके कामकाज से जुड़े अतिरिक्त निवेश की छूट दी जाए। एफ़आईपीबी ने कंपनी में निवेश की अनुमति दे दी, लेकिन उससे जुड़ी दूसरी कंपनी आईएनएक्स न्यूज़ में निवेश की अनुमति नहीं दी। 
ईडी का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया ने नियम क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए 4.6 करोड़ रुपये के बदले 305 करोड़ रुपए का निवेश ले लिया और उसका 26 प्रतिशत आईएनएक्स न्यूज़ में कर दिया। ईडी का यह भी कहना है कि एफ़आईपीबी ने 26 मई 2008 को इस मामले में आईएनएक्स मीडिया से सफ़ाई माँगी, उसके पहले ही आयकर विभाग ने इस मामले की जाँच शुरू कर दी थी। 

कहानी कार्ती की!

प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक़, आईएनएक्स मीडिया ने इस मामले को निपटाने में मदद करने के लिए चेस मैनेजमेंट सर्विसेज नाम की कंपनी की सेवाएँ लीं। चेस मैनेजमेंट कार्ती चिंदबरम की कंपनी है। कार्ती तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे हैं। एफ़आईपीबी वित्त मंत्रालय के अधीन है। ईडी का आरोप है कि इस कंपनी ने चेस मैनेजमेंट की सेवाएँ सिर्फ़ इसलिए लीं कि वह तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ रिश्ते का फ़ायदा उठा कर एफ़आईपीबी के लोगों को प्रभावित कर सकें। 

कार्ती के करतूत!

सीबीआई का आरोप है कि कार्ती चिदंबरम ने एफ़आईपीबी के आला अफ़सरों को प्रभावित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि एफ़आईपीबी ने आईएनक्स मीडिया के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई करने के बदले उससे कहा कि वह आईएनएक्स न्यूज़ में निवेश के लिए फिर से अर्जी दे। 

सीबीआई का आरोप

सीबीआई का आरोप है कि एडवॉन्टेज स्ट्रैटेजिक कंसलटेन्सी नामक कंपनी को आईएनएक्स मीडिया ने 15 जुलाई, 2008 को 10 लाख रुपये दिए। इस कंपनी के मालिक भी कार्ती चिदंबरम ही हैं। ईडी का कहना है कि इसे सितंबर 2008 में चार इनवॉयसेज भी मिले। ये इनवॉयसेज एडवॉन्टेज स्ट्रैटेजिक कंसलटेन्सी की सिंगापुर स्थित आनुषंगिक कंपनी एएससीपीएल के थे। इससे यह पता चलता है कि कार्ती की कंपनी को आईएनएक्स मीडिया से 7 लाॉख डालर मिले। आईएनएक्स मीडिया की निदेशक इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को बताया था कि दरअसल कार्ती की कंपनी ने उनसे 10 लाख डॉलर की माँग की थी। इंद्राणी मुखर्जी इस मामले में सरकारी गवाह बन चुकी हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी

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