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वाट्सऐप स्पाइवेयर: भीमा कोरेगाँव केस से जुड़े कार्यकर्ता निशाने पर क्यों?

वाट्सऐप स्पाइवेयर से निगरानी रखने और मोबाइल में सुरक्षित पासवर्ड जैसी भी गुप्त जानकारी को चुराए जाने की ख़बर ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया है। भारत में भी अब तक जो मामले सामने आए हैं उससे तूफ़ान खड़ा होने की संभावना है। भारत में जिनको निशाना बनाए जाने की रिपोर्टें हैं वे सभी पत्रकार, शिक्षाविद, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ता हैं। इसमें भीमा कोरेगाँव केस में आरोपी बनाए गए वे कार्यकर्ता भी शामिल हैं जिनके ख़िलाफ़ सरकार कार्रवाई कर रही है। इसीलिए तूफ़ान खड़ा होने की संभावना भी है क्योंकि इसको लेकर सरकार पर ही ऊँगली उठाई जा रही है। हालाँकि सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह मामले की जाँच कराएगी व ऐसा करने वाले दोषियों को सज़ा दिलाएगी। 

वाट्सऐप स्पाइवेयर का निशाना बनाए गए ऐसे 14 लोगों के बारे में ‘स्क्रॉल.इन’ ने रिपोर्ट छापी है। इसमें साफ़ तौर पर दिखता है कि निशाना बनाए गए इन 14 लोगों में से कई भीमा कोरेगाँव केस से जुड़े हैं। भीमा कोरेगाँव का मामला दलितों से जुड़ा है और पुलिस ने इस मामले में दस कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है। 

भीमा कोरेगाँव मामले में पुलिस का दावा है कि जून 2018 से मामले में गिरफ़्तार 10 कार्यकर्ताओं के कंप्यूटर, पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड से कई चिट्ठियाँ बरामद की गई हैं। चिट्ठियों में कथित तौर पर संकेत दिए गए हैं कि देश को अस्थिर करने, भारतीय जनता पार्टी की सरकार को गिराने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए माओवादी साज़िश रच रहे थे।

वाट्सऐप स्पाइवेयर के शिकार हुए दूसरे लोग भी किसी न किसी स्तर पर सामाजिक कार्य से जुड़े रहे हैं।

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बता दें कि दुनिया भर में पॉपुलर वॉट्सऐप ने स्वीकार किया है कि इसी साल फ़रवरी से मई तक यानी लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने कहा है कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर दुनिया भर में 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में इस संबंध में ख़बर छपने के बाद 'स्क्रॉल.इन' ने 14 ऐसे लोगों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की है। 

'स्क्रॉल.इन' के अनुसार, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर लीगल ऐड ग्रुप की शालिनी गेरा ने कहा कि सिटीज़न लैब के जॉन स्कॉट रैलटन ने अक्टूबर के पहले हफ़्ते में उनसे संपर्क साधा था। सिटीज़न लैब कनाडा की एक लैबोरेटरी है जो सूचना नियंत्रण पर अध्ययन करती है। रिपोर्ट के अनुसार गेरा ने कहा कि मैं पूरी तरह से चौंक गई जब उन्होंने कहा कि इस साल फ़रवरी और मई के बीच मुझे निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दो साल पहले मुझ पर केस चलाया गया था, लेकिन मुझे लगता था कि अब मुझ में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं होगी। फिर, मुझे एहसास हुआ कि यह भीमा कोरेगाँव मामले के कारण हो सकता है। मैं सुधा के वकील के तौर पर उस केस से जुड़ी हुई हूँ।' बता दें कि पेशे से वकील सुधा भारद्वाज भीमा कोरेगाँव मामले में आरोपी बनाई गई हैं। 

'स्क्रॉल.इन' से बातचीत में गेरा ने कहा, 'जब मैंने स्कॉट रैलटन से यह पूछा कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है तो उन्होंने कहा कि वह सॉफ़्टवेयर हज़ारों डॉलर का है और इसे कोई आपका पड़ोसी नहीं ख़रीद सकता है। यह सरकार जैसा कोई साधन-संपन्न वाला ही हो सकता है।'

रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद गेरा ने अनुमान लगाया कि यह भारत सरकार हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि दूसरे किसी सरकार का मुझमें कोई दिलचस्पी होगी। 

स्पाइवेयर से चिट्ठी बनाने का आरोप

पेशे से वकील निहालसिंह राठौड़ नागपुर में ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के प्रमुख हैं। 'स्क्रॉल.इन' से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि भीमा कोरेगाँव केस में आरोप लगाने वाली जिस चिट्ठी को सबूत के तौर पर पेश किया गया है वे सरकारी एजेंसियों द्वारा स्पाइवेयर के इस्तेमाल से तैयार की गई होंगी। उन्होंने कहा कि सिटीज़न लैब ने उनसे 7 अक्टूबर को संपर्क किया था। फिर ख़ुद राठौड़ ने 14 अक्टूबर को ग्रुप से बात की। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को वाट्सऐप से भी सिक्योरिटी तोड़े जाने की सूचना मिली थी। राठौड़ ने कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि भीमा कोरेगाँव मामला उन पत्रों पर आधारित है जो सरकारी एजेंसियों द्वारा इसी माध्यम या किसी अन्य माध्यम से तैयार किए गए थे।’ 

वाट्सऐप स्पाइवेयर के शिकार हुए राठौड़ भीमा कोरेगाँव केस में आरोपी बनाए गए सुरेंद्र गाडलिंग के वकील हैं। राठौड़ ने कहा, ‘मेरे वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग इसी तरह के कॉल और संदेश प्राप्त करते थे...।’ उन्होंने आशंका जताई कि यह सब भीमा कोरेगाँव मामले से जुड़ा हुआ लगता है।

भीमा कोरेगाँव केस के आरोपी आनंद तेलतुंबडे 

आनंद तेलतुंबडे भीमा कोरेगाँव मामले में एक आरोपी हैं। उन्हें आठ या नौ दिन पहले सिटीज़न लैब से फ़ोन करके बताया गया कि उन्हें निशाना बनाया गया है। उन्होंने ‘स्क्रॉल.इन’ को बताया, ‘मैं पहले से सतर्क था, लेकिन दोस्तों से पता लगाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वे सही थे। उन्होंने मुझे यह बताया कि स्पाइवेयर से आपके फ़ोन को नियंत्रित किया जा सकता है- माइक्रोफ़ोन और कैमरा चालू करते ही आपके पासवर्ड चोरी हो जाएँगे।’

सुधा भारद्वाज के दूसरे वकील अंकित ग्रेवाल

भीमा कोरेगाँव मामले के आरोपी सुधा भारद्वाज का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अंकित ग्रेवाल ने ‘स्क्रॉल.इन’ को बताया कि उन्हें पिछले कुछ समय से संदेह था क्योंकि उन्हें विदेशी नंबरों से वाट्सऐप पर मिस्ड कॉल आ रहे थे। इससे उन्हें बार-बार हैंडसेट बदलने पड़े।

ग्रेवाल ने कहा, ‘सुधा भारद्वाज के मामले से जुड़ने के बाद मैंने इन रहस्यमयी मिस्ड कॉल में तेज़ी से वृद्धि देखी।’ उन्होंने कहा कि उनके संदेह की पुष्टि तब हुई जब सितंबर में सिटीज़न लैब ने उनसे यह बताने के लिए संपर्क किया कि उनका फ़ोन इज़रायली स्नूपिंग सॉफ्टवेयर पेगासस से हैक किया गया था।

रूपाली जाधव मुंबई में कबीर कला मंच में एक कार्यकर्ता हैं। उनको कुछ दिनों पहले उनके फ़ोन को हैक किए जाने के बारे में सिटीज़न लैब द्वारा बताया गया था। बाद में वाट्सऐप द्वारा भी जानकारी दी गई। बता दें कि इस समूह के कुछ सदस्यों को भीमा कोरेगाँव मामले में गिरफ़्तार किया गया है।

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आदिवासी अधिकार से जुड़े कार्यकर्ता

छत्तीसगढ़ की मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने भी टारगेट किए जाने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि सिटीज़न लैब ने उन्हें अपना फ़ोन बदलने की सलाह दी। भाटिया ने स्क्रॉल.इन को बताया, ‘उन्होंने (सिटीज़न लैब के सदस्य ने) साफ़ तौर पर मुझसे कहा, यह आपकी अपनी सरकार है जो यह (निगरानी) कर रही है।’ 

छत्तीसगढ़ के एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने कहा कि उन्हें पहली बार 26 सितंबर को एक ईमेल मिला था और फिर वाट्सऐप के एक आधिकारिक संदेश से उन्हें पता चला कि वह स्पाइवेयर के निशाने पर थे। उन्होंने कहा कि वह इसलिए निशाने पर होंगे क्योंकि वह 15 से अधिक वर्षों से दलित अधिकारों पर काम कर रहे हैं और उन्होंने दलितों पर अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है।

कौन इस्तेमाल कर रहा है स्पाइवेयर?

पीस एक्टिविस्ट यानी शांति कार्यकर्ता के रूप में छत्तीसगढ़ में काम करने वाले शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि उन्हें पहली बार सिटीज़न लैब द्वारा बताया गया था कि वह वाट्सऐप पर निशाने पर थे। चौधरी ने कहा कि सिटीज़न लैब ने उन्हें बताया कि इज़राइली स्पाइवेयर केवल सरकारों को बेची गई थी और इसने सुझाव दिया था कि भारत सरकार ने उनके ख़िलाफ़ इसका इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि अब मैं बस्तर में नई शांति प्रक्रिया पर काम कर रहा हूँ, यह उससे जुड़ा हो सकता है।

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दूसरे सामाजिक कार्यकर्ता भी हुए शिकार

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले पीपुल्स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के एक कार्यकर्ता आशीष गुप्ता ने कहा कि उन्हें लगभग एक महीने पहले ‘कनाडा स्थित एनजीओ’ से फ़ोन पर स्नूपिंग की जानकारी दी गई। गुप्ता बताते हैं कि जुलाई में उन्हें कई वाट्सऐप ग्रुपों से जबरन हटा दिया गया था, यहाँ तक ​​कि उनसे भी जिनके वह एडमिन थे।

माओवादी केस की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता

इलाहाबाद में स्थित पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ की एक कार्यकर्ता सीमा आज़ाद ने कहा कि उन्हें वाट्सऐप से एक संदेश मिला कि उनके फ़ोन के साथ छेड़छाड़ की गई है। आज़ाद पर एक माओवादी केस में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 2012 में निचली अदालत में सज़ा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट आज़ाद की अपील पर सुनवाई कर रहा है और मामले में उनको ज़मानत मिली हुई है।

एक्टिविस्ट विवेक सुंदर ने कहा कि उन्हें लगभग एक सप्ताह पहले सिटीज़न लैब के जॉन स्कॉट-रैलटन का संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि वह हैक के संभावित शिकार थे। उन्होंने कहा कि जब शालिनी गेरा से मिला तब मैंने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया था। गेरा भी उन कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्हें निशाना बनाया गया।

प्रोफ़ेसर से लेकर रिपोर्टर तक

‘स्क्रॉल.इन’ के अनुसार, राजनीति विज्ञान विभाग में एक सहायक प्रोफ़ेसर सरोज गिरि ने कहा कि उन्हें इस महीने की शुरुआत में सिटीज़न लैब से एक मैसेज मिला है। 

समाचार चैनल वियोन ने कहा है कि उसके राजनयिक और रक्षा संवाददाता सिद्धांत सिब्बल को भी स्पाइवेयर ने निशाना बनाया था।

रणनीतिक विश्लेषक राजीव शर्मा ने कहा कि उन्हें सुरक्षा तोड़े जाने के बारे में वाट्सएप से एक विस्तृत संदेश मिला है। उन्होंने कहा, ‘एक पखवाड़े पहले मुझे सिटीज़न लैब से एक फ़ोन भी आया था जिसमें मुझे बताया गया कि मेरा फ़ोन इस साल मार्च से मई तक निगरानी में रखा गया था।’

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क़मर वहीद नक़वी

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