loader

आरक्षण की माँग करने वाले खुश होंगे या नाराज़?

नरेंद्र मोदी सरकार ने सवर्ण समेत आर्थिक रूप से पिछड़े सभी समुदायों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव कर इस मामले में एक नया मोड़ ला दिया है। इसमे वे सभी लोग आ जाएंगे जिन्हें आरक्षण नहीं मिला है। चुनाव के ठीक पहले इस क़दम से उन तमाम समुदायों को सरकार संकेत देना चाहती है जो आरक्षण की माँग करते आए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समुदायों के लोग आरक्षण की माँग लंबे समय से करते आए हैं, कुछ कामयाब हुए हैं, कुछ नहीं हुए हैं। सरकार उन सभी को कह सकती है कि उनकी बात मान ली गई है। आरक्षण के बाहर छूट गए लोग इससे खुश होंगे, पर वे ज़रूर नाराज़ होंगे जिन्हें इसका फ़ायदा मिल रहा है क्योंकि नए लोग उनके हिस्से में ही भागेदारी करेंगे। एक नज़र डालते हैं, बीते कुछ सालों में हुए आरक्षण आंदोलनों पर। 

मराठाओं को 16 फ़ीसद आरक्षण

महाराष्ट्र के प्रभावशाली समझे जाने वाले मराठा समुदाय के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में दाख़िले के लिए आरक्षण की माँग को मानते हुए बीते साल राज्य की फड़नवीस सरकार ने 16 प्रतिशत आरक्षण का एलान कर दिया। काफ़ी ज़द्दोजहद के बाद राज्य विधानसभा ने 30 नंवबर 2018 को इससे जुड़ा विधेयक पारित कर दिया। मराठाओं के लिए 16 प्रतिशत के इस आरक्षण के साथ ही राज्य में कुल आरक्षण 68 फ़ीसद तक जा पहुँचा। यह मामला अदालत में पहले से ही था। इसके बाद विनोद पाटिल नामक एक आदमी ने बंबई हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल कर कहा कि कोई फ़ैसला सुनाए जाने से पहले उनकी राय भी सुनी जाए। इसके तुरत बाद राज्य सरकार ने भी इसी आशय की एक अर्ज़ी उसी अदालत में दायर की। 

मराठा समुदाय के बारे में यह बात मानी जाती है कि वे पारंपरिक रूप से मोटे तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के समर्थक रहे हैं। बीजेपी उन्हें वहां से तोड़ कर अपनी ओर लाने के लिए मराठा आंदोलन के कार्ड का इस्तेमाल कर रही है।

उसने इसके तहत ही 16 फ़ीसद आरक्षण देने का एलान कर दिया। इस फ़ैसले से ओबीसी समुदाय के लोग सरकार और बीजेपी से अच्छे ख़ासे नाराज़ हैं। सोमवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल-मुसलमीन के विधआयक इम्तियाज जलील ने मराठा आरक्षण से जुड़े विधेयक के ख़िलाफ़ बंबई हाई कोर्ट में एक अर्ज़ी डाल उसे चुनौती दी है और रद्द करने की माँग की है। 

लगभग 75 प्रतिशत ज़मीन पर कब्जा रखने वाले और सरकारी नौकरियों पर पहले से ही काबिज इस समुदाय ने सबसे पहले 1979 में आरक्षण की माँग की थी। सबसे पहले मराठा सेवा संग और मराठा महासंघ ने आरक्षण की माँग की थी। 

संपन्न पाटीदारों को भी चाहिए आरक्षण

गुजरात के पाटीदारों की खेती और वाणिज्य-व्याापार पर मजबतू पकड़ रही है और वे मोटे तौर पर संपन्न माने जाते रहे हैं। वे पहले आरक्षण के ख़िलाफ़ थे। पर बीते कुछ समय से वे ख़ुद आरक्षण की माँग करने लगे। इस माँग को लेकर पाटीदारों ने लंबा और धुआँधार आंदोलन चलाया। यह आंदोलन कई जगहों पर हिंसक भी हो गया। जुलाई 2015 में यह आंदोलन शुरू हुआ। अहमदाबाद में 25 अगस्त को हुई रैली में हज़ारों लोगों ने भाग लिया। हार्दिक पटेल इसके सबसे बड़े नेता बन कर उभरे। उन्हें गिरफ्तार किया गया, उन पर राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा ठोंका गया, उन्हें जेल हुई। यह आंदोलन हिंसक हो गया, बस-ट्रक वगैरह में आग लगाई गई और कुछ लोग मारे भी गए।

Which communities demand reservation in government jobs? - Satya Hindi

जाट आंदोलन

हरियाण के जाटों ने आरक्षण की माँग करते हुए पूरे राज्य में ज़बरदस्त आंदोलन चलाया। फ़रवरी 2016 में शुरु हुआ यह आंदोलन शुरु में ही हिंसक हो गया, बसें जलाई गईं, ट्रक फूंके गए, लोगों से मार पीट की गई, सरकारी दफ्तरों पर हमले हुए, आगजनी हुई। रेल मंत्री ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि इससे 55 करोड़ रुपये का नुक़सान सिर्फ़ रेलवे को हुआ, कुल नुक़सान अरबों रुपये का हुआ। स्थिति इतनी ख़राब हो गई कि राजमार्ग पर लूटपाट के अलावा महिलाओं से साथ बलात्कार तक की वारदात के आरोप लगाए गए, हालांकि इसे साबित नहीं किया जा सका। हरियाण सरकार ने 13 मार्च 2016 को एक अधिसूचना जारी कर जाटों को सरकारी नौकरियो में 10 प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्था करने की घोषणा कर दी। इसमें सभी धर्मों के जाटों को शामिल कर लिया गया।  इसमें विश्नोई, त्यागी और रोर को भी शामिल कर लिया गया। यह व्यवस्था की गई कि तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों में 10 फ़ीसद और पहली-दूसरी श्रेणी की नौकरियों में 6 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन यह मामला अदालत पहुँचा। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने 26 मई 2016 को इसे खारिज कर दिया। 

Which communities demand reservation in government jobs? - Satya Hindi

गूजर आंदोलन

मुख्य रूप से राजस्थान में बसने वाले गूजरों ने आरक्षण के लिए पूरे राज्य में आंदोलन चलाया। यह आंदोलन भी हिंसक रहा और उनके निशाने पर मुख्य रूप से रेलवे की संपत्ति रही। रेल लाइने उखाड़ी गईं, ट्रेन के परिचान में बड़े पैमाने पर रुकावट डाली गई। इसमें कई लोग मारे गए और अंत में सेना की मदद भी लेनी पडी। बाद में राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा समुदाय के लिए 21 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की और इसमें जाटों को भी शामिल कर लिया। इसमें सर्वाधिक पिछड़े समुदाय के लिए भी 1 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। 
Which communities demand reservation in government jobs? - Satya Hindi

लिंगायतों को चाहिए आरक्षण

कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के लोगों ने महाराष्ट्र के मराठाओं से प्रेरणा लेकर आरक्षण की माँग की है। उन्होंने बीते साल राज्य में सभी ज़िला मजिस्ट्रेट के दफ़्तरों के सामने प्रदर्शन किए और कहा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में उन्हें आरक्षण चाहिए क्योंकि वे भी पिछड़े हैं। वे चाहते हैं कि वीरशैव लिंगायत समुदाय को ओबीसी घोषित कर दिया जाए, ताकि वे ख़ुद व ख़ुद आरक्षण पा जाएँ। लेकिन इसमें पेच यह है कि लिंगायतों के 99 समुदायों में पहले से ही 20 समुदाय ओबीसी और 15 समुदाय दलति श्रेणी में हैं। वे वीरशैव को ओबीसी श्रेणी में लाए जाने के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि इससे उन्हें नुक़सान है। वे आख़िर उनके हिस्से में ही भागेदारी करेंगे।
Which communities demand reservation in government jobs? - Satya Hindi

कापू के लिए अलग कैटगरी

आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय के लोगों ने आरक्षण की माँग क समर्थन में लंबा आंदोलन चलाया और चंद्र बाबू नायडू की सरकार ने  2017 में इस पर अध्ययन के लिए मंजुनाथ आयोग का गठन किया। साल 2018 में सरकार ने आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करते हुए कापू समुदाय के लोगों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्थआ की। इसके लिए बैकवर्ड क्लास में अलग कैटगरी 'एफ' बनाया गया। राज्य मे कापू समुदाय की तादाद लगभग 10 फ़ीसद है। लेकिन इसके बाद उनके प्रतिद्वंद्वी समझे जाने वाले कम्मा समुदाय के लोगों ने भी आरक्षण की माँग कर दी। इस समुदाय के लोग ज़्यादातर किसान हैं और उनकी संख्या लगभग 3 प्रतिशत है। लेकिन उनके साथ वेलम्मा, बलीजा और रेड्डी भी जुड़ गए हैं। ये अगड़ी जातियोें के हैं और मोटे तौर पर बेहतर सामाजिक आर्थिक स्थितियों में हैं, पर उन्हें भी आरक्षण चाहिए। 
बिहार मे पसमांदा मुसलमान यानी पिछड़े मुसलमानों ने भी आरक्षण की माँग की थी। वह माँग इस आधार पर थी कि मुसलमानो  में पिछड़े समुदाय के लोग हिन्दुओं के पिछड़ो जैसी या कुछ मामलों  में उनसे भी भी बदतर हालात में हैं। केरल में यही माँग ईसाई समुदाय के लोगोें ने की। पर इन दोनों ही माँगों को यह कह कर खारिज कर दिया गया कि आरक्षण जाति के आधार पर हो सकता है, धर्म के आधार पर नहीं। आंध्र प्रदेश की सरकार ने एक बार मुसलमानों के लिए 5 फ़ीसद आरक्षण का एलान किया, पर अदालत ने इसे असंवैधानिक बता कर खारिज कर दिया। सोमवार को पारित प्रस्ताव का फ़ायदा इन समुदायों को मिल सकता है। पर इससे वे लोग संतुष्ट नहीं होंगे, जो जनसंख्या के आधार पर अधिक आरक्षण की माँग करते रहे हैं। 
जाट, गूजर, पाटीदार, वीरैशैव लिंगायत, कापू, कम्मा और रेड्डी जैसे समुदायों के आरक्षण की माँग से यह साफ़ हो गया है कि यह मुद्दा पहचान की राजनीति का हिस्सा भी बन चुका है।
Which communities demand reservation in government jobs? - Satya Hindi
खेती-किसानी में कम होती आय, रोज़गार के कम होते साधन और लोगों की बढती इच्छाओं के साथ वोट बैंक की राजनीति के घालमेल से एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई हैं जहां हर कोई ख़ुद को उपेक्षित महसूस करता है और उसे लगता है कि वह अपने वोट बैंक के बल पर अपनी बात मनवा ही लेगा।
यह बात भी है कि दूसरों को यह फ़ायदा मिला तो उसे क्यों नहीं मिलना चाहिए। सवर्ण समेत आर्थिक रूप से पिछड़े तमाम लोगों को आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव के बीच बिहार मे राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने कहा है कि आरक्षण किसी की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नहीं दिया जाता है, बल्कि उस समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए दिया जाता है। बिहार में राजद मूल रूप से पिछड़ों और उसमें भी ख़ास कर यादवों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में ध्रुवीकरण से राजद को लाभ होगा, पर ठीक चुनाव के पहले उसकी क्या रणनीति होगी, यह साफ़ होना अभी बाकी है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें