कोरोना काल में बेहद ख़राब दौर से गुजर चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सुखद ख़बर है। भारत की जीडीपी में साल 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 20.1% की वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बहुत बड़ी चुनौती है।
यह वृद्धि इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में -24.4 की नेगेटिव वृद्धि दर भी देखी है। हालांकि इसके पीछे बड़ी वजह कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन को माना गया था।
यह लगातार तीसरी तिमाही है, जिसमें जीडीपी में वृद्धि हुई है। इससे पहले साल 2020-21 की तीसरी तिमाही में 0.5 % की और चौथी तिमाही में 1.6 % की वृद्धि दर्ज की गई थी।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अनुमान लगाया था कि साल 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 18.5 % रह सकती है जबकि पहले इसने 26.2 % की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।
साल 2020-21 की पहली दो तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर -24.4 % और -7.4 % रही थी। हालांकि इसके बाद जब लॉकडाउन हटा था और काम-धंधे खुलने लगे थे तो तीसरी और चौथी तिमाही में इसमें बढ़त देखने को मिली थी।
पैसे जुटा रही सरकार
इधर, केंद्र सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना को सामने लाई है। सरकार का कहना है कि उसने इसके जरिये अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्रालय ने कहा था कि सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन का हिस्सा होंगे।
सरकार ने कहा था कि का कहना है कि इस योजना के जरिये सड़कों से सरकार 1.6 लाख करोड़ रुपये, रेलवे से 1.5 लाख करोड़ रुपये और पावर सेक्टर से 79 हज़ार करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी।
इसके अलावा एयरपोर्ट्स से 20,800 करोड़, बंदरगाहों से 13 हज़ार करोड़, टेलीकॉम से 35 हज़ार करोड़ रुपये, स्टेडियम से 11,500 करोड़ और पावर ट्रांसमिशन सेक्टर से जुड़ी 45,200 करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण किया जाएगा। मुद्रीकरण इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट मॉडल के जरिये या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये किया जाएगा।
राहुल ने किया था विरोध
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस योजना का विरोध किया था। राहुल ने कहा था, “जैसे-जैसे मोनोपॉली (एकाधिकार) बनती जाएगी, उतनी ही दर से आपको रोज़गार मिलना बंद हो जाएगा। आप स्कूलों-कॉलेजों में हो, इस देश में जो छोटे-मिडिल साइज बिजनेस हैं, वे सब बंद हो जाएंगे, ख़त्म हो जाएंगे। सिर्फ़ तीन-चार बिजनेस रहेंगे।”
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