कोरोना महामारी का
विश्व अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इसका अनुमान अभी लगाया ही जा रहा है। इस बीच विश्व बैंक ने आशंका जताई है कि इसकी वजह से लगभग 6 करोड़ लोग बहुत ही ग़रीब हो सकते हैं। इसकी वजह यह हो सकती है कि बीते तीन दशकों में दुनिया में जो आर्थिक विकास हुआ, उस पर पानी फिर जाए।
160 अरब डॉलर की मदद
विश्व बैंक ने लगभग 100 देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उनकी मदद करने का काम शुरू कर दिया है। इसने 15 महीने में 160 अरब डॉलर के क़र्ज़ इन देशों को देने की योजना बनाई है। इस योजना से कुल आबादी के 70 प्रतिशत लोगों को मदद मिलेगी।
सिकुड़ती अर्थव्यवस्था
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मैलपास ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कोरोना से पड़ने वाले असर के बारे में कहा,
“
‘हमारा अनुमान है कि 6 करोड़ लोग अत्यधिक ग़रीबी में धकेल दिए जाएंगे। पिछले तीन दशक में ग़रीबी उन्मूलन की दिशा में हासिल की गई सभी उपलब्धियाँ ख़त्म हो जाएंगी।’
डेविड मैलपास, अध्यक्ष, विश्व बैंक
मैलपास ने कहा कि मोटे अनुमान के अनुसार, विश्व अर्थव्यवस्था 5 प्रतिशत सिकुड़ सकती है, लेकिन इसका ज़्यादा असर सबसे
ग़रीब लोगों पर पड़ेगा।
बता दें कि कोरोना महामारी की चपेट में पूरी दुनिया है, इससे लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं और तकरीबन 3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
5.50 अरब डॉलर
विश्व बैंक ने स्वास्थ्य सेवाओं को सहारा देने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी सेवाओं को मजबूत करने के लिए अब तक 5.50 अरब डॉलर की
मदद दी है।
मैलपास ने इसके साथ ही इस पर भी ज़ोर दिया कि अकेले विश्व बैंक ही सबकुछ नहीं कर सकता है, इसके लिए दानदाता देशों को आगे आना होगा और उन्हें ग़रीब देशों की मदद करनी होगी।
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