बढ़ते कोरोना संकट, उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन और उस वजह से तबाह होती अर्थव्यवस्था के बीच विदेशी निवेशकों ने भारत से 16 अरब डॉलर की पूँजी निकाल ली है।
एशिया में संकट
अमेरिका के स्वतंत्र कांग्रेसनल रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश निवेशकों ने कोरोना संकट की वजह से एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से 26 अरब डॉलर की पूँजी निकाल ली। इसमें से भारत से 16 अरब डॉलर की पूँजी निकाली गई है।
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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की वजह से कई देश मुद्रा और वित्तीय क्षेत्र में पहले से तय सुधार भी नहीं कर रहे हैं। वे किसी तरह आर्थिक गतिविधियों को बचाए रखने, अपने नागरिकों की सुरक्षा और कोरोना के टीका की खोज में ही लगे हुए हैं।
इस रिपोर्ट में भारत के बारे में सकारात्मक बात कही गई है। कहा गया है कि साल 2020 में एशिया के सिर्फ तीन देश-चीन, भारत और इंडोनेशिया ही बहुत ही थोड़ा आर्थिक विकास दर्ज कर सकते हैं।
जीडीपी दर कम
कांग्रेस की इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि अमेरिका की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि यानी जीडीपी की दर इस साल 4.8 प्रतिशत गिरेगी। यह साल 2008 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट होगी।इस रिपोर्ट में यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता जताई गई है। यह कहा गया है कि जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन और इटली में 3 करोड़ से अधिक लोगों ने सरकारी मदद के लिए आवेदन दिया है। समझा जाता है कि यूरोप की अर्थव्यवस्था कम से कम 3.8 प्रतिशत सिकुड़ेगी। यह साल 1995 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट होगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि विश्व अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में जितने समय का अनुमान लगाया जा रहा है, उससे अधिक समय लग सकता है।
रिपोर्ट में एअरलाइन्स, क्रूज़, परिवहन, पर्यटन क्षेत्रों की स्थिति पर विशेष चिंता जताई गई है।
एअरलाइन्स उद्योग को लगभग 113 अरब डॉलर का नुक़सान हो चुका है। स्कूल बंद होने से लगभग 1.50 अरब बच्चों की पढ़ाई लिखाई नहीं हो रही है।
इस अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की स्थिति खराब होने की वजह से चीनी पर्यटक बाहर नहीं जा रहे हैं, जिससे पर्यटन ही नहीं, दूसरे कई क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसी तरह चीन से होने वाले निर्यात में कमी होने से भी विश्व अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
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