ऐसे समय जब भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाल है और इसकी जीडीपी वृद्धि दर शून्य से भी 10 प्रतिशत नीचे जा चुकी है, एक उम्मीद की एक किरण भी दिखी है। वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2021 में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 तक पाँचवें और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगी।
पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक एंड बिज़नेस रिसर्च (सईबीआर) ने यह टेबल तैयार की है। इसमें कहा गया है कि भारत 2030 तक डॉलर के हिसाब से दुनिया की पाँचवी और 2025 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है।
चीन 2028 तक अमेरिका को पीछे छोड़ कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के स्थान पर पहुँच जाएगा। पहले 2033 तक ऐसा होने का अनुमान था, पर समझा जाता है कि उसके पाँच साल पहले ही चीन अमेरिका को पछाड़ देगा।
सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक एंड बिज़नेस रिसर्च ने 193 देशों की अर्थव्यवस्था का 2035 तक का अनुमान लगाया है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत ने 2019 में ही फ़्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया था, पर उसके बाद यह तेज़ी से गिरा।
कोरोना का असर
हालांकि कोरोना महामारी का असर दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है, इसका सबसे बुरा असर यूरोप और सबसे कम असर एशिया के देशों पर पड़ा है। सईबीआर ने यह भी अनुमान लगाया है कि कोरोना की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था को 2020 में लगभग 6 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "महामारी के असर से भारत अपने स्थान से हट गया और ब्रिटेन ने 2020 में इसकी जगह ले ली, वह वहाँ 2024 तक रहेगा, जब भारत उसे वहाँ से हटा कर वह जगह ले लेगा।"
तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से बहुत नुक़सान हुआ। याद दिला दें कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर में ज़ोरदार गिरावट दर्ज की गई थी और यह शून्य से 23.9 प्रतिशत नीचे रिकॉर्ड किया गया था।
भारत के आर्थिक विकास दर में गिरावट जी-20 देशों में हुई सबसे बड़ी आर्थिक गिरावटों में एक थी। इसके बाद इसमें सुधार हुआ और अब यह शून्य से 7.5 प्रतिशत नीचे पर आ गया है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का अनुमान है और स्वयं रिज़र्व बैंक ने भी माना है कि पूरे 2020 की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से लगभग 10 प्रतिशत कम होगी।
यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2021-22 में पटरी पर लौटेगी और वृद्धि दर सकारात्मक हो जाएगी।
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