यह मुमकिन है कि अगले दो साल तक आपको बैंक की किश्त नहीं भरने से छूट मिल जाए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से लोन मोरेटोरियम को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल लोन मोरेटोरियम 6 महीने के लिए था, जो 31 अगस्त को ख़त्म हो गया।
लोन मोरेटोरियम
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक का पक्ष रखते हुए कहा कि क़र्ज़ चुकाने की मोहलत 2 साल तक बढ़ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। ऐसे लोग महामारी के कारण हुए नुक़सान के प्रभाव के हिसाब से अलग-अलग फ़ायदा ले सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें लोन मोरिटेरियम की अवधि बढ़ाने की मांग की गई है। याचिककर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मोहलत की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने की मांग की है।
तुषार मेहता ने क़र्ज पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज के मुद्दे पर अदालत से और समय मांगा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार, बैंक एसोसिएशनों और रिज़र्व बैंक के बीच बैठक होगी और इस समस्या का कोई समाधान निकाला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत में पहले ही इस मामले में तीन बार सुनवाई टाल चुकी है।
इस याचिका पर अगली सुनवाई बुधवार को है।
बैंकों से लिए क़र्ज़ चुकाने पर मिली समय की छूट का मामला जितना आसान दिखता है, वाकई में होता नहीं है। जिसने क़र्ज़ लिया है, उसे ब्याज तो चुकाना ही होगा, अभी न सही बाद में। बैंक करता यह है कि लोन मोरेटोरियम की अवधि का पूरा पैसा ब्याज समेत मूल धन में जोड़ देता।
इस तरह क़र्ज़ लेने वाले को इस ब्याज पर ब्याज देना होता है और वह भी लंबे समय के लिए, जिससे उसका ब्याज कई गुणे बढ जाता है। बैंकों को यह सुविधा होती है कि वे ब्याज को मूल धन में जोड़ देते हैं तो वह तकनीकी तौर पर एनपीए नहीं कहाता है। उन्हें इस पैसे पर लंबे समय में अधिक ब्याज मिलता है।
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