तृणमूल कांग्रेस की सांसद और पूर्व मैनेजमेंट विशेषज्ञ महुआ मोइत्रा ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। परोक्ष रूप से यह सरकार पर भी हमला है।
महुआ मोइत्रा ने अडाणी की कंपनियों के शेयरों में आए असाधारण उछाल, उनमें विदेश से आई रकम, इस रकम को लाने वाले विदेशी निवेशकों और इस रकम के मूल स्रोत पर सवाल उठाए हैं और माँग की है कि इनकम टैक्स विभाग, सेबी और ईडी को इस मामले की जाँच करनी चाहिए।
मोदी पर हमला
हालांकि उनका यह ट्वीट मंगलवार को शेयर बाज़ार बंद होने के बाद आया है, लेकिन चिट्ठी को पढ़ें तो यह साफ है कि उनकी नज़र सिर्फ बुधवार के बाज़ार पर नहीं बल्कि आनेवाले दिनों की राजनीति पर भी है।
“Modi hai to mumkin hai”
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 22, 2021
137 crores of promoter purchase increases market cap by 20,000 crores in 2 days.
Time for SEBI, IT, ED to take a proper look and explain - have written to all concerned. pic.twitter.com/Y3TFfWQQMq
चिट्ठी की प्रतिलिपियाँ या कॉपी वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन, राजस्व सचिव तरुण बजाज, सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी और प्रवर्तन निदेशालय यानी एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट के निदेशक को भी भेजी गई हैं। ज़ाहिर है, एक सांसद की तरफ से भेजी गई इस चिट्ठी को नजरंदाज़ तो किया नहीं जा सकता, जवाब देना होगा, एक्शन लेना होगा या फिर सफाई देनी होगी।
महुआ मोइत्रा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने इसके अगले दिन यानी बुधवार सुबह एक और ट्वीट कर कहा कि कोई भारतीय नागरिक विदेशी कंपनियों के ज़रिए देश में निवेश नहीं कर सकता। उन्होंने
यह मुद्दा भी उठाया कि यह अल्पसंख्यक शेयरहोल्डरों के साथ अन्याया तो है ही, अडाणी समूह मेगा कैप कंपनियों को मिलने वाली सुविधाओं का दुरपयोग कर रहा है।
Illegal for Indians to have ownership via foreign entities
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 23, 2021
Free float a farce, minority holder rights a farce, disclosures a farce
No idea if stocks are pledged indirectly
Also means w/very little free float, Adani getting benefit of MegaCap - low cost debt, part of MSCI, etc
राजनीति में आने से पहले महुआ मोइत्रा मॉर्गन स्टैनली में इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं। यानी जो आरोप उन्होंने लगाए हैं या दूसरों के लगाए जिन आरोपों को उन्होंने आगे बढ़ाया है उन्हे हल्के में नहीं उड़ाया जा सकता है।
एक ही पते पर छह कंपनियाँ
इस चिट्ठी में उन्होंने मीडिया में छपी कई ख़बरों का हवाला दिया है और यह सवाल उठाया है कि अडाणी की कंपनियों में 42,000 करोड़ रुपए लगानेवाले छह विदेशी एफपीआई यानी विदेशी निवेशक मॉरिशस में एक ही पते से चल रही हैं। इनके सेक्रेटरी, मैनेजमेंट कंपनी और डायरेक्टर भी एक ही हैं।
ऐसे ही कुछ और आरोपों का हवाला भी है इस चिट्ठी में कहा गया है कि इस मामले में पीएमएलए, काले धन पर रोक के कानून, बेनामी सौदा कानून, फेमा और भारतीय शेयर बाज़ार में हेराफेरी के आरोपों की जांच के लिए पर्याप्त आधार है।
क्या हुआ था?
बता दें कि पहले ही खबर आई थी कि एनएसडीएल ने तीन ऐसे विदेशी निवशकों के एकाउंट फ्रीज़ कर दिए हैं, जिन्होंने अडानी ग्रुप के शेयरों में 43,500 करोड़ रुपए के शेयर खरीद रखे थे।बात सिर्फ इतनी ही नहीं थी। ये तीनों निवेशक यानी एफपीआई मॉरिशस के रास्ते भारत में पैसा लगाते हैं।
14 जून को बाजा़र खुलने के साथ ही इस ख़बर का असर दिखना शुरू हुआ और बंबई स्टॉक एक्सचेंज में 10.15 बजे तक ही अडानी एंटरप्राजेज का शेयर 25 प्रतिशत गिर चुका था। इतने ही समय में अडानी पोर्ट्स 19 प्रतिशत गिर चुका था और बाकी चारों कंपनियों में पाँच फ़ीसदी का लोअर सर्किट ब्रेकर लग गया था।
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