क्या पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों का बढ़ना जारी रहेगा और जल्द ही यह पूरे देश में 100 रुपए प्रति लीटर से ज़्यादा हो जाएगा और उसे ही सामान्य औसत मान लिया जाएगा? क्या केंद्र सरकार इसे रोकने में सक्षम है या वह इसे रोकना ही नहीं चाहती?
केंद्र सरकार वसूली बढ़ने का ढिढोरा तो पीट रही है पर राज्यों का हिस्सा कम हो रहा है यह नहीं बता रही है। वसूली बढ़ने के दावों पर बात नहीं करने के लिए इतना भर ही कम नहीं है।
सरकार ने यह क़ानून बना दिया है कि हरियाणा में प्राइवेट कारोबार में भी 50 हज़ार रुपए महीने से कम तनख्वाह वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत पर सिर्फ हरियाणा के ही लोग रखे जा सकेंगे। 28 फरवरी को इस पर राज्यपाल ने दस्तखत कर दिए हैं।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को हुई एक बैठक के बाद पीएफ़ में जमा पैसे पर 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का एलान किया है। यह देश में किसी भी इंस्ट्रूमेंट पर मिलने वाला सर्वाधिक ब्याज दर है।
ऐसे समय जब पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं और केंद्र व राज्य सरकारों की कमाई का ज़रिया बन चुकी हैं, सवाल यह उठता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका दूरगामी असर क्या पड़ेगा।
सवाल है कि सरकार ने रोज़गार के मौके बनाने के मामले में क्या किया है, वह कितनी कामयाब रही है और कितनी नाकाम। प्रधानमंत्री और बीजेपी भले ही वायदा पूरा न कर सके हों, पर क्या उन्होंने इसकी कोई ईमानदार कोशिश भी की या यह एक और ज़ुमला था?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बेचकर भारी धनराशि एकत्र करने की अपनी योजना का खुलासा किया है। देश की जो आर्थिक स्थिति है, उसमें यह मजबूरी है। आश्चर्य इसमें है कि वो ग़लत तर्क दे रहे हैं कि बिज़नेस करना सरकार का काम नहीं है।
आर्थिक मोर्चे पर ख़ुशख़बरी है। देश का जीडीपी लगातार दो तिमाही में सिकुड़ने के बाद अब तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर सकारात्मक हो गई है। सरकार की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर में यह विकास दर 0.4 फ़ीसदी रही है।
जिस बात पर बीजेपी प्रवक्ता और संघ परिवार के लोग अचानक जोर देने लग़े हैं वह है पिछली यूपीए सरकारों द्वारा जारी ऑयल बॉन्ड की देनदारियाँ। और इस बात को आज ऐसे अन्दाज में बताया जा रहा है कि सरकार इन देनदारियों को सम्भालते सम्भालते परेशान है।
शेयर बाज़ार के खिलाड़ियों के लिए बुधवार का दिन भारी हंगामे से भरा रहा। सुबह से ही देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई में गड़बड़ी की शिकायतें शुरू हुईं और 11.40 पर वहाँ कारोबार ही बंद हो गया।
पश्चिम बंगाल सरकार ने पेट्रोल पर लगने वाले मूल्य संवर्द्धित कर यानी वीएटी में एक रुपए की कमी कर दी है। ऐसा करने वाला यह चौथा राज्य बन गया है। इसके पहले असम, राजस्थान और मेघालय में भी इस तरह की कटौती की गई है।
देश भर के कई शहरों में 100 रुपये तक जा पहुंची पेट्रोल की क़ीमतों को लेकर मचे शोर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामने आए और उन्होंने सरकार का बचाव किया।
देश की 70 प्रतिशत आबादी के खेती-किसानी पर निर्भर रहने के बावजूद क्यों कोई सरकार उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान खोजने में गहरी दिलचस्पी नहीं लेती है या अब तक समाधान ढूंढ नहीं पायी है।