उत्तर प्रदेश में लखनऊ के नज़दीक मलीहाबाद में 5 दिसम्बर, 1898 में पैदा हुए शब्बीर हसन खां, बचपन से ही शायरी के जानिब अपनी बेपनाह मुहब्बत के चलते, आगे चलकर जोश मलीहाबादी कहलाए। लेकिन वह पाकिस्तान क्यों चले गए?
शिरीष कुमार मौर्य का नया कविता संग्रह रितुरैण इस विश्वास को और भी पुख़्ता करता है कि एक कवि के रूप में उनकी यात्रा नए मार्गों का अन्वेषण करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही है।
वरिष्ठ कवयित्री अनामिका का कविता संग्रह पानी को सब याद था गाँव-देहात से लेकर शहरों तक की औरतों का अद्भुत कविता-कोलाज़ है। ये एक ऐसा अलबम है जिसमें स्त्रियों की अनगिनत छवियाँ संजोई गई हैं।
बेमिसाल शायर, गीतकार साहिर लुधियानवी ने 25 अक्टूबर, 1980 को अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। उन्होंने अपनी नज्मों और गीतों में मुल्क और अवाम के लिए, जो समाजवादी ख्वाब बुना था, वह अब भी पूरा नहीं हुआ है।
मजाज़ को तरक्की पसन्द तहरीक और इन्कलाबी शायर भी कहा जाता है। 19 अक्टूबर 1911 जन्मे मजाज़ महज 44 साल की छोटी सी उम्र में इस जहाँ को अलविदा करने से पहले अपनी उम्र से बड़ी रचनाओं की सौगात दे गए।
वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित लेखक हेमंत शर्मा की एक और किताब छप कर बाज़ार में आ गई है। हमेशा की तरह उनकी किताब के शीर्षक ‘एकदा भारतवर्षे’ से उसके कथ्य के पांडित्यपूर्ण होने की झलक मिलती है। इस पुस्तक की सामग्री उनकी पिछली किताबों से एकदम भिन्न शैली की है।
साहित्य के नोबेल पुरस्कार में नौ साल बाद कविता की वापसी हुई है और साल 2020 के नोबेल के लिए अमेरिकी कवि लुइस ग्लिक को चुना गया है। साल 2011 में स्वीडन के कवि तोमास ट्रांसत्रोमर को उस समय नोबेल दिया गया था, जब वे लकवे से पीड़ित थे।
प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष शृंखला में पढ़ें समाजोन्मुख-आत्मोन्मुख-भाषोन्मुख होने का प्रेमचंद के लिए क्या है मायने, अपूर्वानंद की कलम से।