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महाराष्ट्र: विपक्षी दलों के विधायकों को तोड़ पाएगी बीजेपी?

महाराष्ट्र के ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम में जो सबसे बड़ा सवाल है, वह यह है कि क्या बीजेपी शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायकों को तोड़ने में सफल हो पाएगी? चुनाव परिणाम आने के बाद जो पार्टी अपने विधायकों के न टूटने को लेकर सबसे ज़्यादा आश्वस्त थी वह थी एनसीपी। इसलिए एनसीपी ने अपने विधायक किसी होटल, रिसोर्ट या किसी दूसरे शहर में नहीं भेजे थे। 

शिवसेना ने एहतियात के तौर पर अपने विधायक पहले बांद्रा स्थित रंग शारदा होटल में रखे थे लेकिन बाद में उन्हें मडआइलैंड स्थित होटल रिट्रीट में भेज दिया था। कांग्रेस ने अपने अधिकांश विधायक जयपुर भेज दिए थे और कुछ समय बाद उन्हें वापस बुला लिया था। लेकिन अब नए सियासी घटनाक्रम के बाद स्थिति तनावपूर्ण बन गयी है।  

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शिवसेना ने तो अपने विधायकों को शुक्रवार से ही होटल ललित में रखा हुआ है जबकि कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को एक होटल में रखा है। शनिवार देर रात एनसीपी ने अपने विधायकों को पवई इलाके के एक पांच सितारा होटल में रखा था लेकिन रविवार रात को विधायकों को वहां से होटल हयात शिफ़्ट कर दिया गया। 

सबसे बड़ी बात यह है कि एनसीपी ने सभी विधायकों को होटल में नहीं रखा है। पार्टी को जिन विधायकों पर बग़ावत का शक है, उन्हें दूसरे ठिकाने पर पहुंचाया है जबकि जिन विधायकों पर उन्हें पूरा विश्वास है उन्हें पवई के होटल में रुकवाया है। इस पूरे घटनाक्रम में एक बात जो विशेष रूप से सामने आयी है, वह है तीनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे का खुलकर समर्थन कर रहे हैं और एक-दूसरे के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 

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शुक्रवार शाम को जिस तरह से शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सचिव मिलिंद नार्वेकर ने हवाई अड्डे से एनसीपी के विधायक संजय बनसोडे को पकड़ कर वाईबी चव्हाण प्रतिष्ठान में चल रही एनसीपी की विधायक दल की बैठक में पहुंचाया, उससे तीनों पार्टियों में एकता का संकेत साफ़ दिखता है। 

शिवसेना ने जिस तरह से पहले अपने विधायकों पर नजर रखने का जिम्मा शिवसैनिकों व पार्टी पदाधिकारियों को सौंपा था, वही काम अब वह एनसीपी के विधायकों के लिए भी कर रही है।  पवई क्षेत्र से विधायक शिवसेना का है और इसी क्षेत्र में स्थित होटल में एनसीपी के विधायकों को रखा गया है, ऐसे में शिवसेना के विधायक को एनसीपी के विधायकों की सुरक्षा और उनकी देखभाल का जिम्मा सौंपा गया है। 

तीनों पार्टियों के नेताओं ने अपने ख़ुफ़िया सूत्रों को भी सतर्क कर रखा है कि किसी भी दल का विधायक बीजेपी के नेताओं या उनके किसी सूत्र के साथ दिखे तो उसकी सूचना सभी तक पहुंचायी जाए। ऐसे में यह बात जोर पकड़ रही है कि क्या अब भी बीजेपी दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने में सफल हो सकेगी?
लेकिन जिस प्रकार से अजीत पवार का प्रकरण सामने आया है, उससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब किसी और बड़े नेता की बग़ावत सामने आ सकती है? बीजेपी को राज्यपाल की तरफ से बहुमत साबित करने के लिए बहुत लंबा समय दिया है इसलिए इस बात की आशंकाएं लगाई जा रही हैं कि कोई बग़ावत हो सकती है या ख़रीद-फरोख़्त हो सकती है। 
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संजय राय

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