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सीबीआई ने बिना किसी सबूत के पीटर मुखर्जी को 4 साल कैसे रखा जेल में?

शीना बोरा हत्याकांड में जो पीटर मुखर्जी चार साल से ज़्यादा समय से जेल में हैं उनके मामले में बॉम्ब हाई कोर्ट ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ प्रारंभिक तौर पर कोई सबूत नहीं है। जिसके ख़िलाफ़ चार साल में ऐसा सबूत नहीं इकट्ठा किया गया हो कि सरसरी तौर पर भी सबूत माना जाए उसे इतने लंबे समय तक जेल की सज़ा क्यों काटनी पड़ी? क्या पीटर मुखर्जी बेगुनाह हैं या फिर सीबीआई जैसी एजेंसी अपना वह काम नहीं कर रही है जो उसे करना चाहिए? या फिर सीबीआई नाकारा है?

ये सवाल पीटर मुखर्जी की ज़मानत पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी से उठते हैं। सवाल इसलिए भी कि यह मामला हाई प्रोफ़ाइल लोगों से जुड़ा रहा है। इस मामले में तीन लोग गिरफ़्तार किए गए हैं। एक पीटर मुखर्जी, तब पीटर की पत्नी रहीं इंद्राणी मुखर्जी और इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना। शीना बोरा इंद्राणी मुखर्जी की बेटी थीं। इंद्राणी मुखर्जी ने पीटर से बाद में शादी की थी। यानी इस हिसाब से शीना बोरा पीटर की सौतेली बेटी थीं।

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केस चलने के दौरान ही इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी का तलाक़ हो गया। दोनों का तलाक़ आपसी सहमति से हुआ। जनवरी 2017 में इंद्राणी मुखर्जी ने पीटर मुखर्जी से तलाक़ लेने की घोषणा की थी।

नवंबर 2015 में सीबीआई द्वारा पीटर को शीना बोरा हत्या मामले में गिरफ़्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें मुंबई के आर्थर रोड जेल में रखा गया है। सीबीआई ने फ़रवरी 2016 में उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 120-बी (साज़िश) और धारा 201 (सबूतों को ग़ायब करना) के तहत औपचारिक रूप से आरोपी बनाया था।

इन्हीं आरोपों पर कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ़ तौर पर कहा कि प्रारंभिक तौर पर ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे यह अर्थ निकाला जाए कि पीटर मुखर्जी अपराध में शामिल थे। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस साम्ब्रे ने कहा, 'जब घटना हुई तब पीटर मुखर्जी भारत में नहीं थे। इस मामले में ट्रायल पहले से ही चल रहा है। पीटर चार साल से ज़्यादा समय से जेल में हैं और हाल में उनकी बाइपास सर्जरी हुई है।' पीटर पहले से दावा करते रहे हैं कि उनका पासपोर्ट इसका सबूत है कि वह अप्रैल 2012 में तब इटली के शहर रोम में थे जब शीना बोरा की हत्या हुई थी। 

जस्टिस साम्ब्रे ने कहा कि सीबीआई के आरोप के अनुसार कथित 24 अप्रैल 2012 को हत्या के दिन इंद्राणी मुखर्जी और उनके पूर्व पति संजीव खन्ना का सीधे हाथ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई द्वारा इसका भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि दूसरे आरोपियों (इंद्राणी और खन्ना) की गिरफ़्तारी के छह महीने बाद भी पीटर मुखर्जी को क्यों आरोपी बनाया गया।'

कोर्ट ने इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि पीटर मुखर्जी ने शीना बोरा की हत्या की इसलिए साज़िश की क्योंकि वह उसके और अपने बेटे राहुल मुखर्जी के बीच संबंधों से ख़ुश नहीं थे। 

हाई कोर्ट की यह टिप्पणी कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं। क्या इतना हाई प्रोफ़ाइल मामले में भी सीबीआई ऐसे लचर ढंग से काम करती है? क्या यह सीबीआई की साख का सवाल नहीं है?

यदि सीबीआई जैसी एजेंसी भी किसी आरोपी के ख़िलाफ़ चार साल बाद भी कोई ठोस सबूत नहीं जुटा पाती है तो आरोपी को जेल में किस आधार पर इतने लंबे समय तक बंद रखवा सकती है? यही वे सवाल हैं जिनके आधार पर हाई कोर्ट ने पीटर मुखर्जी को सशर्त ज़मानत दे दी है।

हाई कोर्ट ने दी सशर्त ज़मानत 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को हाई प्रोफ़ाइल शीना बोरा हत्याकांड मामले में पीटर मुखर्जी को दो लाख रुपये की ज़मानत पर बेल दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि वह अपने बेटे राहुल मुखर्जी, बेटी विधी मुखर्जी और दूसरे गवाहों से नहीं मिल सकते हैं। हालाँकि, तुरंत ही  इसी कोर्ट ने सीबीआई के उस आग्रह के बाद इस ज़मानत वाले आदेश पर छह हफ़्ते के लिए रोक लगा दी है जिसमें सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय माँगा। यानी अब पीटर छह हफ़्ते बाद ही जेल से बाहर आ सकते हैं। 

इंद्राणी के आईएनएक्स मीडिया केस से जुड़े तार

पीटर और इंद्राणी आईएनएक्स मीडिया से जुड़े रहे थे। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ जो केस दर्ज हुआ है, वह इंद्राणी मुखर्जी के बयान के आधार पर किया गया है। साफ़ है कि इंद्राणी मुखर्जी के ही बयान की वजह से पी. चिदंबरम जाँच एजेंसियों के निशाने पर हैं और देश की सियासत में भूचाल मचा हुआ है। आईएनएक्स मीडिया केस में पी चिदंबरम को गिरफ़्तार भी किया गया था। 

इंद्राणी मुखर्जी ख़ुद अपनी बेटी शीना बोरा के मर्डर के मामले में जेल में बंद हैं। इंद्राणी आईएनएक्स मीडिया मामले में सरकारी गवाह बन गई हैं। 

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बता दें कि पीटर मुखर्जी टेलीविज़न से जुड़े रहे थे। वह 1997 से 2007 के बीच स्टार इंडिया के सीईओ रहे। 2007 में उन्होंने आईएनएक्स मीडिया में चीफ़ स्ट्रैटजी ऑफ़िसर के रूप में जुड़े थे। उन्होंने 2009 में आईएनक्स मीडिया को छोड़ दिया था।

जब यह मामला सामने आया तो पहले कई बार यह भी दलीलें दी गई थीं कि पीटर और इंद्राणी ने आईएनएक्स मीडिया के पैसे को शीना बोरा के नाम से विदेशी बैंक में खाते में भेजा था। 

हालाँकि आईएनएक्स मीडिया केस अलग चल रहा है, लेकिन इसके तार भी कहीं न कहीं इससे जुड़े थे। आईएनएक्स मीडिया केस को भी सीबीआई ही देख रही है। सवाल यह भी है कि कहीं आईएनएक्स मीडिया केस का साया भी तो इस पर नहीं है?

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अमित कुमार सिंह

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