बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर कहा है कि वह बौद्ध धर्म अपना लेंगी। मायावती ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए नागपुर में आयोजित चुनावी रैली में सोमवार को यह बात कही।
मायावती ने रैली में कहा, ‘अपनी मौत से पहले बाबा साहेब आंबेडकर ने भी धर्म बदल लिया था और आप सोच रहे होंगे कि मैं बाबा साहेब के रास्ते पर कब चलूंगी और बौद्ध धर्म को अपनाऊंगी। मेरा जवाब है कि मैं सही समय आने पर बौद्ध धर्म की दीक्षा लूंगी और बड़ी संख्या में लोग मेरे साथ धर्म बदलेंगे।’ मायावती ने यह भी कहा कि धार्मिक परिवर्तन तभी संभव होगा जब बाबा साहेब को मानने वाले लोग राजनीति में भी उनकी बातों को मानेंगे। बता दें कि बाबा साहेब अंबेडकर ने भी मृत्यु से पहले लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था। अक्टूबर, 2017 में यूपी के आज़मगढ़ में आयोजित चुनावी रैली में भी मायावती ने बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही थी।
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है और मायावती के वहां यह बयान देने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में क़रारी शिकस्त खाने के बाद मायावती पार्टी संगठन को खड़ा करने में जुटी हैं। मायावती जानती हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार दलित और पिछड़े समुदाय के लोगों को अपने साथ जोड़कर ‘हिंदू’ बनाने में जुटा हुआ है। संघ के मजबूत होने का सियासी लाभ बीजेपी को मिलता रहा है। इसलिए मायावती ने यह बयान देकर दलित वोट बैंक को संघ की तरफ़ जाने से रोकने की कोशिश की है।
कई बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुकीं मायावती निश्चित रूप से इस बात को जानती हैं कि बीएसपी को बचाने के लिए उन्हें कोई बड़ा सियासी दांव खेलना ही होगा।
बीजेपी पर रही हैं हमलावर
मायावती ने आज़मगढ़ की रैली में कहा था कि बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है और दलित व मुसलमानों को निशाना बना रही है। मायावती ने रैली में सहारनपुर हिंसा का जिक्र करते हुए कहा था कि बीजेपी ने शब्बीरपुर गांव में दलितों के बीच संघर्ष कराया और उनकी हत्या की साजिश की। मायावती बीजेपी पर आरोप लगाती रही हैं कि वह पूरे देश में संघ की विचारधारा को लागू करने में जुटी है।राज्यसभा से दे दिया था इस्तीफ़ा
पिछले साल अप्रैल में जब एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में दलितों ने बंद बुलाया था और यह काफ़ी सफल रहा था। मायावती ने इस मुद्दे पर संसद में आवाज़ उठाई थी। मायावती ने कहा था कि उन्हें ग़रीब और दलितों के हित की बात नहीं रखने दिया गया और इसी वजह से उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया।
अपनी राय बतायें