loader
फ़ाइल फ़ोटो

काली टोपी वालों, टोपी के नीचे दिमाग़ है तो सोचो: उद्धव 

कोरोना काल में इस बार दादर स्थित शिवाजी मैदान (शिव तीर्थ) में शिवसेना की परंपरागत दशहरा रैली तो नहीं हुई लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भाषण एक नए अंदाज़ में देखने को मिला। मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली दशहरा रैली थी और उन्होंने इस अवसर पर हिंदुत्व से लेकर सरकार बनाने और उसको गिराने से लेकर, केंद्र सरकार द्वारा राज्य के लिए खड़ी की जा रही अड़चनें, कंगना रनौत, अर्णब गोस्वामी और मुंबई पुलिस को बदनाम करने की साज़िश और राज्यपाल की भूमिका तक पर करारे प्रहार किये। 

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी की और कहा कि वह देश नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रचार प्रसार में ही लगे रहते हैं। बीजेपी देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के बजाय राज्य सरकारों को गिराने में व्यस्त रहती है। 

महाराष्ट्र से ख़ास ख़बरें

शिवसेना प्रमुख ने कहा कि मौजूदा जीएसटी प्रणाली पर पुनर्विचार करने का वक़्त आ गया है। जीएसटी सिस्टम फ़ेल होता नज़र आ रहा है, राज्यों को इससे फ़ायदा नहीं मिल रहा है। ठाकरे ने कहा- महाराष्ट्र को अभी तक जीएसटी का 38,000 करोड़ रुपये का बकाया नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों का भी पैसा बकाया है, इसलिए अब सभी प्रदेशों को एकजुट होकर जीएसटी का विरोध करना चाहिए। 

ठाकरे ने कहा कि जब से महाराष्ट्र में नयी सरकार बनी है, लगातार बीजेपी नेता उसे गिराने के बयान देते आ रहे हैं, यदि हिम्मत है तो गिराकर दिखाए। 

उन्होंने कहा कि लोगों ने अब सोचना शुरू कर दिया है कि केंद्र में भले किसी भी पार्टी की सरकार आ जाए लेकिन वर्तमान सरकार नहीं चाहिए। केंद्र की ग़लत नीतियों की वजह से देश की अखंडता को ख़तरा बढ़ गया है तथा देश अराजकता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी वीडियो कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहते थे कि महामारी (कोरोना) में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोरोना पर सबसे ज़्यादा राजनीति उन्हीं की पार्टी द्वारा की गयी।

बिहार में कोरोना का टीका मुफ्त उपलब्ध कराने के बीजेपी के चुनावी वादे पर तंज कसते हुए कहा कि आप बिहार में कोरोना के मुफ्त टीके का वादा करते हैं, तो क्या अन्य राज्यों के लोग बांग्लादेश या कजाकिस्तान से आए हैं? उन्होंने कहा कि ऐसी बातें कर रहे लोगों को ख़ुद पर शर्म आनी चाहिए, खासकर तब जब वह केंद्र में बैठे हैं।
उद्धव ठाकरे ने इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के नागपुर में दिए गए भाषण का संदर्भ देते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तंज कसा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'काली टोपी पहनने वालों, टोपी के नीचे दिमाग़ है तो सोचो? हिंदुत्व शब्द को पूजा परिपाटियों से जोड़कर तोड़-मरोड़कर पेश मत करो'। ठाकरे ने कहा कि हमने इनसे अलग होकर सरकार क्या बना ली, ये हमारे हिंदुत्व पर सवाल खड़े करने लगे। 

उन्होंने कहा कि शिवसेना का हिंदुत्व मंदिर में घंटा बजाने वाले लोग निर्माण करना नहीं अपितु आतंकवादियों को देश से बाहर खदेड़ने वाले लोग तैयार करना है। शिवसेना का हिंदुत्व राष्ट्रवाद का है। उन्होंने गौ वंश क़ानून को लेकर भी बीजेपी की केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा महाराष्ट्र में गौ वंश हत्या पर रोक और गोवा में मजे से उसका सेवन चालू है? यह कैसा क़ानून!

उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक समय संघ मुक्त भारत की वकालत की थी। वर्ष 2014 में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर किसी धर्मनिरपेक्ष चेहरे को पेश करने की माँग की थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘क्या नीतीश ने हिंदुत्व का चोला पहन लिया है या बीजेपी अब धर्मनिरपेक्ष हो गई है।’

सुशांत सिंह प्रकरण पर भी इस सभा में उद्धव ठाकरे ने जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने सीने पर गोलियाँ खायीं लेकिन एक आतंकवादी को ज़िंदा पकड़ा था। आज उसकी जाँच पर सवाल उठाये जा रहे हैं। इस पूरे मामले में इनके मुँह से गोबर और गौ मूत्र निकल रहा था।
अभिनेत्री कंगना रनौत पर परोक्ष निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग रोजी-रोटी के लिए मुंबई आते हैं और शहर को पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर) बोलकर उसे गाली देते हैं। अपने बेटे आदित्य ठाकरे पर लग रहे आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के बेटे को न्याय दिलाने के लिए शोर मचा रहे लोग महाराष्ट्र के बेटे के चरित्र हनन में लगे हैं। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस की छवि खराब की जा रही है। न्यूज़ चैनलों पर ऐसा प्रचारित किया जा रहा है जैसे मुंबई और महाराष्ट्र में घर-घर गांजे की खेती होती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में घरों में तुलसी के पौधे मिलेंगे, गांजे के नहीं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजय राय

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें