महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी-शिवसेना आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ही दलों का मुख्यमंत्री पद पर दावा है और दोनों ही दल झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। अब तक शिवसेना प्रमुख कह रहे थे कि सरकार 50:50 के फ़ॉर्मूले पर बनेगी। शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ हुई बैठक के बाद यह जानकारी सामने आई थी कि विधायकों ने उद्धव ठाकरे से कहा है कि बीजेपी से यह लिखित रूप में लिया जाये कि वह 50:50 का फ़ॉर्मूला मानेगी और इसके तहत ढाई साल के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार होगी। चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद भी उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को 50:50 का फ़ॉर्मूला याद दिलाया था। लेकिन मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कह दिया है कि 50-50 फ़ॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कोई वादा नहीं किया गया है। इसे लेकर सवाल यह खड़े हो गये हैं कि आख़िर कौन झूठ बोल रहा है।
सीएम की कुर्सी पर छिड़ी रार!
ख़बरों के मुताबिक़, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शिवेसना को डिप्टी सीएम का पद देने के लिए तैयार हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी फडणवीस ने कहा था कि वह डिप्टी सीएम का पद दे सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी रिजर्व है। लेकिन शिवसेना को मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए और वह इस पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिखती। चुनाव परिणाम के बाद मुंबई में कई जगहों पर आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री का संदेश लिखे होर्डिंग भी दिखे थे।
आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बताने वाला होर्डिंग।
झुकने को तैयार नहीं बीजेपी!
लेकिन दूसरी ओर बीजेपी भी झुकने के लिए तैयार नहीं दिखती। ख़बरों के मुताबिक़, बीजेपी का कहना है कि वह उद्धव के 50:50 के फ़ॉर्मूले पर राजी नहीं होगी। इसके पीछे उसका यह तर्क है कि यह फ़ॉर्मूला तब सही होता जब दोनों दलों को बराबर सीटें मिली होतीं, लेकिन ऐसा नहीं है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि उसे शिवसेना से लगभग दुगुनी सीटें मिली हैं, ऐसे में वह क्यों मुख्यमंत्री का पद देने के लिए राजी होगी।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनंगटीवार ने कहा है कि फडणवीस निश्चित रूप से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे और शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर किये गये दावे को स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है।
शिवसेना ने यह शर्त भी रखी है कि सरकार गठन के लिए बीजेपी के राज्य स्तर के नेताओं से चर्चा नहीं की जाएगी। शिवसेना चाहती है कि अमित शाह खुद आएं और वह लोकसभा चुनाव के गठबंधन के दौरान जो फ़ॉर्मूला तय करके गए थे, उसके अनुरूप सत्ता में समान साझेदारी की बात करें। अब सरकार गठन का तभी हो सकता है जब अमित शाह ख़ुद महाराष्ट्र आएं और शिवसेना से इस बारे में बात करें।
लेकिन अगर बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ढाई-ढाई साल वाली शिवसेना की शर्त पर राजी नहीं हुई तो फिर क्या होगा, क्या शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनायेगी या बीजेपी-शिवसेना का यह झगड़ा पिछली बार की ही तरह इस बार भी सुलझ जायेगा।
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