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महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन, शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने कहा है कि संविधान के मुताबिक़ राज्य में सरकार बनने के आसार नहीं हैं और उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार को भेज दी है। केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर राज्यपाल की सिफ़ारिश को स्वीकार कर लिया और इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सिफ़ारिश को मंजूर कर लिया है। राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। लेकिन बीजेपी के असफल रहने के कारण शिवसेना को 24 घंटे की मोहलत दी थी और फिर मंगलवार रात 8.30 बजे तक एनसीपी से बहुमत साबित करने के लिए कहा था। लेकिन उससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। 

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शिवसेना की ओर से दायर याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल के उन्हें सरकार बनाने के लिए और समय न देने को चुनौती दी गई है। एडवोकेट सुनील फ़र्नांडीज ने शिवसेना की ओर से याचिका दायर की है। सुनील फर्नाडीज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने कहा है कि वह बुधवार को तत्काल सुनवाई के लिए अदालत के सामने मामले को रख सकती है। 

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राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कांग्रेस ने हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि राज्यपाल कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश करके संवैधानिक प्रक्रियाओं का मखौल उड़ाया है। सुरजेवाला ने कहा है कि राज्यपाल को अगर सरकार बनाने के लिए एक-एक पार्टी को बुलाना था तो कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया गया। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि बीजेपी को 48 घंटे, शिवसेना को 24 घंटे और एनसीपी को 24 घंटे से भी कम समय क्यों दिया गया?
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात की थी। सोनिया गाँधी ने पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल को एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बातचीत के लिए मुंबई भेजा है। एनसीपी ने मंगलवार को कहा था कि तीनों कांग्रेस नेता मुंबई पहुंचकर शरद पवार से मिलेंगे और इसके बाद ही सरकार के गठन को लेकर कोई फ़ैसला होगा। लेकिन इससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। 

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी और 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आये थे। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं। चुनावी नतीजे आने के बाद से ही बीजेपी और शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर आमने-सामने आ गए थे। शिवसेना का कहना था कि लोकसभा चुनाव के दौरान उसका बीजेपी के साथ 50:50 के फ़ॉर्मूले पर समझौता हुआ था और इसके तहत उसे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद चाहिए। लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद के बँटवारे के लिए तैयार नहीं हुई। 

पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मसले का हल निकालने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के यहाँ भी हाजिरी लगाई लेकिन शिवसेना टस से मस नहीं हुई और अंतत: सरकार बनाने के लिए ज़रूरी विधायकों का आंकड़ा न होने के कारण देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफ़ा देना पड़ा। 

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इसके बाद ख़बरें चलीं कि राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बना सकते हैं। शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए केंद्र सरकार में शामिल अपने मंत्री का इस्तीफ़ा भी करवा दिया और एनडीए से नाता तोड़ लिया। एनसीपी तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए राजी थी लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर असमंजस में थी। माना जा रहा था कि मंगलवार शाम तक कांग्रेस भी शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हो जाती लेकिन उससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 
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क़मर वहीद नक़वी

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