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राहुल पर बयान देने वाले फ़ैकल्टी मेंबर को क्यों भेजा ज़बरन छुट्टी पर?

राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ 'विवादास्पद' टिप्पणी करने वाले मुंबई विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी मेंबर योगेश सोमन को लेकर विवाद बढ़ गया है। यह राजनीतिक मुद्दा तब बन गया जब सोमन को ज़बरन छुट्टी पर भेज दिया गया। सोमन मुंबई विश्वविद्यालय के थियेटर आर्ट्स अकादमी के निदेशक भी हैं। सोमन के ख़िलाफ़ कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन यानी एआईएसएफ़ और छात्र भारती के छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र तो उनके ख़िलाफ़ अकादमी के संचालन में भी गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। कई छात्र उसको लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं। एआईएसएफ़ और छात्र भारती के छात्र दूसरे कई आरोप लगाते हुए सोमन को पद से हटाए जाने की माँग कर रहे हैं। कांग्रेस भी यही माँग कर रही है, जबकि बीजेपी असहिष्णुता का आरोप लगा रही है।

इस मामले में कांग्रेस की प्रतिक्रिया अजीब है क्योंकि जब मोदी सरकार ऐसी ही कार्रवाई करती है तो यही कांग्रेस आरोप लगाने लगती है कि सत्ता की हनक में कार्रवाई की जा रही है और असहमति की आवाज़ को दबाया जा रहा है। लेकिन सवाल है कि अब जब महाराष्ट्र में कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार है तो क्या यह असहमति की आवाज़ को दबाना नहीं है क्या?

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बहरहाल, सोमन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस इसलिए आमने-सामने हैं क्योंकि उन्होंने राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ बयान दिया था। उन्होंने राहुल गाँधी को संबोधित करते हुए 14 दिसंबर को फ़ेसबुक और ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था। यह वीडियो राहुल गाँधी के उस बयान को लेकर था जिसमें राहुल गाँधी ने कहा था, 'मेरा नाम राहुल गाँधी है, राहुल सावरकर नहीं।' उनकी यह प्रतिक्रिया पत्रकारों के उन सवालों के जवाब में आयी थी जिसमें पूछा गया था कि क्या वह 'रेप इन इंडिया' वाले बयान पर माफ़ी माँगेंगे। इस बयान के लिए बीजेपी राहुल से माफ़ी माँगने की माँग कर रही थी। बता दें कि राहुल ने यह बयान तब दिया था जब हैदराबाद और उन्नाव दुष्कर्म का मामला आया था। तब एक के बाद एक दुष्कर्म के कई मामले आए थे। 

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, 'राहुल सावरकर' वाले राहुल के बयान पर वीडियो में सोमन ने कहा था, 'आप सच में सावरकर  नहीं हैं। सच्चाई है कि आप सच्चे गाँधी भी नहीं हैं। आप में वो कोई भी गुण नहीं है...' उन्होंने यह भी कहा था कि वह 'गाँधी की पप्पूगिरी' का विरोध करते हैं। इस बयान का एनएसयूआई ने 24 दिसंबर को विरोध किया था और वाइस चांसलर के कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने 28 दिसंबर को सोमन के ख़िलाफ़ बीकेसी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। नौ जनवरी को भी विरोध रैली हुई थी जहाँ उनका पुतला फूँका गया था। 

13 जनवरी को भी एनएसयूआई, एआईएसएफ़ और छात्र भारती के सहयोग से थियेटर अकादमी के छात्रों ने कलिंगा कैंपस में थियेटर अकादमी मामले के विरोध में एक दिन का धरना दिया था।

बताया जाता है कि देर रात तक प्रदर्शन होने पर रजिस्ट्रार अजय देशमुख ने छात्रों को आश्वासन दिया था कि उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजा जाएगा। देशमुख द्वारा एक पत्र भी दिया गया कि सोमन के व्यवहार की पड़ताल के लिए एक फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग कमिटी गठित की जाएगी और चार हफ़्ते में रिपोर्ट आएगी।
'द इंडियन एसक्सप्रेस' ने लिखा है कि संपर्क करने के कई प्रयास के बाद भी सोमन से संपर्क नहीं किया जा सका। 

बीजेपी का हमला

इसी बीच योगेश सोमन को जबरन छुट्टी पर भेजने की रिपोर्ट पर बीजेपी नेता आशिष शेलार ने कहा, 'बताया जा रहा है कि कांग्रेस और वामपंथी छात्रों ने योगेश सोमन को धमकी दी है। क्या यह असहिष्णुता नहीं है?' उन्होंने बोलने की आज़ादी को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि पिछले कुछ दिनों से सांस्कृतिक और अकादमिक संस्थानों के छात्रों में असंतोष को बल दिया जा रहा है जिससे छात्र शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या यह असहिष्णुता नहीं है? 

कांग्रेस का पलटवार

इस पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया। कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि देश भर में जिस तरह की असहिष्णुता देखी जा रही है उससे तो किसी भी बीजेपी सदस्य को असहिष्णुता पर बोलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने योगेश सोमन को लेकर कहा, 'किसी भी सरकारी कर्मचारी को राजनीतिक बयानबाज़ी से दूर रहना चाहिए। यह सरकारी नियम है। यदि सोमन राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं तो यह बीजेपी के दम पर। हमें एनएसयूआई पर गर्व है कि वह संविधान को बचाने के लिए क़दम उठा रही है। उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजना ही पर्याप्त नहीं है।'

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रिपोर्ट के अनुसार, छात्र भारती ने कहा कि छात्रों ने सोमन के ख़िलाफ़ थियेटर अकादमी के संचालन के तौर-तरीक़ों को लेकर शिकायतें की हैं। छात्र भारती के अपूर्व इंगल ने कहा, 'हम एनएसयूआई से जुड़े नहीं हैं। हम सिर्फ़ कुलपति से यह आग्रह करना चाहते हैं कि हमारा नया निदेशक बढ़िया दूरदृष्टि और सम्मानित व्यक्तित्व वाला नियुक्त किया जाना चाहिए। अधिकतर फ़ैकल्टी नहीं पढ़ा सकता है। सोमन पुणे से आते हैं और वह वहीं से अपने समकक्षों को भर्ती कर रहे हैं। वह न तो संपर्क में होते हैं और न ही उनका व्यवहार दोस्ताना है। हम तब तक लड़ते रहेंगे जब तक वह इस्तीफ़ा नहीं दे देते।'
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क़मर वहीद नक़वी

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