विधानसभा में भाजपा के साथ मिलकर इन दलों ने शिवसेना को पटकनी देने में मदद की थी, लेकिन आज बीजेपी को शिवसेना का साथ मिलने पर ये सहयोगी दल बेगानों जैसे हो गये हैं।
आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन महाराष्ट्र में गठबंधन और सीटों के बंटवारे का खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ है। आकलन लगाया जा सकता है कि इस बार मुक़ाबला त्रिकोणीय होने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने आंगनबाड़ी पोषण आहार की ख़रीद के लिए निकाले गए टेंडर्स को रद्द कर दिया है। इससे बीजेपी सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और महाराष्ट्र,, कभी समाजवादी नेताओं और श्रमिक आन्दोलनों का केंद्र हुआ करते थे, लेकिन आज राजनीति का रंग बदलकर कुछ और हो चुका है।
महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना गठजोड़ को हराने के लिए कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी यानी गठबंधन की नज़र प्रकाश आम्बेडकर-असदउद्दीन ओवैसी की वंचित आघाडी पर है।
कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन में मनसे के भी शामिल होने की चर्चा थी। लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा है कांग्रेस को मनसे का साथ पसंद नहीं है।
अहम सवाल यह है कि शिव सैनिकों में बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ साढ़े चार साल तक जो गु़स्सा था, शिवसेना प्रमुख कुछ घंटों के भाषण से उसे कैसे शांत कर पाएँगे?
महाराष्ट्र सरकार की तमाम कोशिशोें के बावजूद किसान एक बार फिर अपनी माँगों को लेकर सड़क पर उतर गए हैं। इस मार्च में क़रीब 50 हज़ार किसान हिस्सा ले रहे हैं।