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शिवसैनिकों के ग़ुस्से को शांत कर पाएँगे उद्धव?

बीजेपी के साथ गठबंधन करने और उसके बाद अन्य दलों की प्रतिक्रियाओं व विरोध के स्वरों के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शनिवार को शिवसैनिकों को एकता का मंत्र देने जा रहे हैं। गठबंधन के बाद शिव सेना की यह पहली बैठक है जिसमें पार्टी के सभी सांसद, विधायक, ज़िला प्रमुख, तालुका प्रमुख आदि उपस्थित रहेंगे। यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण इसलिए मानी जा रही है कि जिन शिव सैनिकों में बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ साढ़े चार साल तक गु़स्सा था, शिवसेना प्रमुख कुछ घंटों के भाषण से उसे कैसे शांत कर पाएँगे? 
  • वैसे भी यह ख़बर पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है कि बीजेपी से गठबंधन करने के लिए सांसदों और विधायकों ने शिवसेना प्रमुख पर दबाव बनाया था। ऐसे में शिवसेना प्रमुख को पार्टी के बड़े पदाधिकारियों को छोड़ शाखा प्रमुख और उनसे नीचे के स्तर के शिव सैनिकों से संवाद करने की ज़्यादा ज़रूरत है क्योंकि बीजेपी और उसकी सरकार से ज़मीनी रूप में दो-दो हाथ उन्हें ही करने पड़ते हैं। 

शिवसेना-बीजेपी के नेता भिड़े

शिवसेना और बीजेपी के नेताओं में ज़मीनी स्तर पर कितना टकराव है, यह शुक्रवार को अकोला महानगरपालिका में देखने को मिला। महानगरपालिका के सदन में शिवसेना-बीजेपी नेताओं के टकराव की ऐसी स्थिति हो गयी कि मामले को सुलझाने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। इस टकराव की शुरुआत सभागृह में भाषण को लेकर हुई। 

  • शिवसेना के नगरसेवक माँग कर रहे थे कि महानगरपालिका में जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उन्हें सदन में उस पर बोलने की इजाजत दी जाए। लेकिन महापौर विजय अग्रवाल जो कि बीजेपी से हैं ने शिव सेना के नगरसेवकों को बोलने की अनुमति नहीं दी। इस पर माहौल आक्रामक हो गया। यहाँ तक कि सदन में माइक भी तोड़ दिए।  
नगरसेवकों के इस व्यवहार पर महापौर ने शिव सेना नगरसेवक दल के नेता राजेश मिश्र व नगरसेवक गजानन चव्हाण को सभा से निलंबित करने का आदेश दे दिया। इस आदेश के विरोध में शिव सेना के नगरसेवक सदन में धरने पर बैठ गए। टकराव ऐसा बढ़ा कि पुलिस स्टेशन के बाहर शिवसेना और बीजेपी के कार्यकर्ता जोर-आजमाइश करते रहे। 
ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवसैनिकों को समझाने की होगी। शिवसेना की इस बैठक पर बीजेपी की भी नज़र लगी है क्योंकि उसके प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दानवे, किरीट सोमैया के लोकसभा क्षेत्र के शिवसैनिकों ने बग़ावत का झंडा बुलंद कर रखा है।

शिव सैनिकों के ग़ुस्से को कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं व नारायण राणे जैसे पूर्व शिवसेना नेताओं की प्रतिक्रिया से भी हवा मिल रही है। 

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संजय राय

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