इन दिनों जोर-शोर से ‘न्यू इंडिया’ के बारे में बताया जा रहा है और उस पर बहसों का दौर भी शुरू हो गया है। लेकिन क्या इस ‘न्यू इंडिया’ में उन स्वरों व विचारों के लिए भी कोई जगह होगी जिन्हें पुराने भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द या आपसी भाईचारे के सन्देश के रूप में जाना जाता था? पानसरे, दाभोलकर, कलबुर्गी, गौरी लंकेश अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके जैसा सोचने वाले अन्य लोगों को क्या नए भारत में कोई स्थान मिलेगा, यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
आईआईटी मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से रिटायर्ड प्रोफ़ेसर राम पुनियानी के घर तीन महीने पहले (3 मार्च) तीन लोग उनके पासपोर्ट के आवेदन की जाँच के बहाने आये। सादे कपड़ों में आये इन लोगों ने अपने आप को पुलिस विभाग की विशेष शाखा से संबंधित बताया। लेकिन पूछे जाने पर कोई पहचान पत्र नहीं दिखाया।पुनियानी की पत्नी ने जब कहा कि उनकी तरफ़ से तो पासपोर्ट के लिए कोई आवेदन किया ही नहीं गया है और पासपोर्ट के सिलसिले में कोई पूछताछ करने आता है तो वे स्थानीय पुलिस स्टेशन के लोग होते हैं, आप कौन हैं? इस तरह के अप्रत्याशित सवाल से वे तीनों घबरा तो गए लेकिन कुछ देर वहीं बैठे रहे और इधर-उधर के ऊल-जलूल सवाल करते रहे।
मुंबई छोड़कर जाने की दी धमकी
पुनियानी को मानसिक रूप से परेशान देख तीनों लोग वहाँ से निकल गए। इस मामले की सूचना पुनियानी ने संबंधित पुलिस स्टेशन को दी और साथ ही अपनी इमारत में लगे सीसीटीवी कैमरे के फ़ुटेज भी दिए। बात आयी-गयी हो गयी लेकिन 6 जून की शाम को उनके घर के लैंड लाइन नंबर पर एक फ़ोन आया और फ़ोन करने वाले शख़्स ने उन्हें 15 दिन के अंदर मुंबई छोड़कर जाने के लिए धमकाया।फ़ोन करने वाले ने कहा कि आप हमारे हिंदू धर्म के बारे में जो कुछ बोलते और लिखते हो वह अच्छा नहीं है। प्रोफ़ेसर राम पुनियानी और उनसे जुड़े विविध संगठनों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक बार फिर पवई पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
उल्लेखनीय है कि कन्नड़ भाषा के विद्वान प्रोफ़ेसर कलबुर्गी की हत्या भी कुछ इसी प्रकार से की गयी थी। उनसे मिलने आए ‘‘विद्यार्थियों’ ने उनके घर में ही उनकी हत्या कर दी थी, जिनके लिए ख़ुद कलबुर्गी ने दरवाज़ा खोला था। उनके हत्यारे और मास्टरमाइंड आज भी पुलिस की गिरफ़्त से बाहर हैं।
प्रोफ़ेसर पुनियानी को आतंकित करने की इस हरकत के ख़िलाफ़ देश भर में आवाज़ बुलन्द हुई है, सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, सांस्कृतिक कर्मियों और आम लोगों ने मुंबई पुलिस के कमिश्नर से इस सम्बन्ध में जाँच करने तथा दोषियों को दंडित करने की माँग की है।
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