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आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले को दी जा रही धमकियां

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा सोशल मीडिया का काम भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के पदाधिकारी से जुड़ी एजेंसी को दिए जाने का मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। इस मामले को उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार साकेत गोखले को फोन पर धमकियां मिलने लगी हैं। 

शुक्रवार को गोखले के घर के बाहर कुछ लोगों ने ‘जयश्री राम’ के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन ठाणे शहर में जारी लॉकडाउन के बावजूद किया गया। 

प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने साकेत को पूरी सुरक्षा देने तथा उन्हें धमकी देने वालों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। गृहमंत्री ने कहा है कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, साकेत गोखले ने कहा कि पुलिस ने उनसे वे सभी नंबर मांगे हैं जिनसे उन्हें धमकियां दी गयीं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने उनकी माताजी को भी धमकी दी है। 

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गोखले ने कहा कि इन धमकियों को अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन को लेकर उनकी तरफ से दायर पीआईएल से जोड़ने की कोशिश कुछ न्यूज़ चैनल वाले कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि चुनाव आयोग में बीजेपी आईटी सेल की भूमिका को उजागर करने के बाद ये लोग परेशान हो गए हैं। 

‘निष्पक्ष चुनाव के दावे पर सवाल’

गोखले ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ ‘जी न्यूज़’ जिस तरह का प्रचार कर रहा है और वह इस मामले को जिस तरह राहुल गांधी से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, वह निंदनीय है। साकेत गोखले ने कहा कि चुनाव आयोग का काम बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी को दिया जाना, निष्पक्ष चुनाव के दावे को खोखला कर देता है। 

उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के न चाहते हुए भी महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी को चुनाव से ठीक तीन महीने पहले फडणवीस सरकार द्वारा हटाना भी संदेह पैदा करता है। गोखले ने कहा कि नए मुख्य चुनाव अधिकारी बलदेव सिंह ने यह काम अपने कार्यकाल के दौरान दिया है। 

इस पर बलदेव सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकार के तहत आने वाले सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय (डीजीआईपीआर) के सुझाव पर इस एजेंसी को नियुक्त किया गया था। एजेंसी को राज्य के चुनावों से पहले मतदाताओं में जागरूकता फैलाने के इरादे से सीमित उद्देश्य के साथ नियुक्त किया गया था।’

सिंह ने कहा, ‘हमने इस एजेंसी को लेकर डीजीआईपीआर से विस्तृत जानकारी मांगी है और इस संबंध में कल स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा।’ 

कांग्रेस ने लगाए आरोप, बीजेपी चुप

साकेत गोखले द्वारा लगाए गए आरोपों पर बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने आरोप लगाया कि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव से संबंधित ऑनलाइन विज्ञापन जारी करने के लिए बीजेपी के एक पदाधिकारी के स्वामित्व वाली विज्ञापन और सोशल मीडिया कंपनी की सेवाएं ली थीं। 

जांच की मांग 

पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने इस मामले में चुनाव आयोग (ईसीआई) की ओर से जांच कराये जाने की मांग की। चव्हाण ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग की है। राज्य कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने ट्वीट किया, ‘हम स्वतंत्र पैनल द्वारा इस गंभीर मुद्दे की जांच की मांग करते हैं और ईसीआई को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए।’ 

सचिन सावंत ने कहा कि बीजेपी यूथ विंग के राष्ट्रीय पदाधिकारी की एक कंपनी ने सीईओ, महाराष्ट्र के सोशल मीडिया को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

क्या है मामला?

साकेत गोखले ने आरोप लगाया था कि देवांग दवे नाम के शख्स को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का काम दिया गया और वह बीजेपी के सोशल मीडिया विभाग से जुड़ा हुआ है। साकेत गोखले ने 202 प्रेसमैन हाउस, विले पार्ले, मुंबई के पते का जिक्र किया है। इस पते पर साइन पोस्ट इंडिया, नामक एक विज्ञापन एजेंसी चलती है, जिसे देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में सरकार ने विज्ञापन एजेंसियों की सूची के पैनल में शामिल किया था। 
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इसी पते पर "सोशल सेन्ट्रल" नामक एक डिजिटल एजेंसी भी चलती है, जिसको देवांग दवे चलाते हैं। देवांग दवे, बीजेपी, युवा मोर्चा की आईटी सेल व सोशल मीडिया प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक हैं। देवांग दवे ‘फियरलेस इंडियन’ नाम की वेबसाइट और फ़ेसबुक पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ के फाउंडर भी हैं।  

गोखले ने कहा, ‘यह बहुत आश्चर्यजनक है कि बीजेपी की आईटी सेल से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्ति को चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया का काम दिया। एक ऐसे शख्स को जो उस समय महाराष्ट्र चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मीडिया संभाल रहा था।’ 

देवांग दवे ने साकेत गोखले के ट्वीट्स के बाद अपनी वेबसाइट पर दिए गए पते को बदल दिया है। देवांग दवे ने स्पष्टीकरण देते हुए ट्विटर पर कहा, “निर्वाचन आयोग का जो काम साइनपोस्ट को मिला था, वो सब कुछ नियमों के हिसाब से मिला। इसमें कहीं भी कानून की कोई अनदेखी नहीं हुई है।”

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क़मर वहीद नक़वी

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